बालू माफियाओं के खेल में जिम्मेदार फंसे हुए हैं. बालू के अभाव में आम आदमी के लिए घर बनाना सपना हो गया है. बालू के कारण अन्य कारोबारों पर भी गंभीर असर पड़ा है. प्रतिमाह लगभग 109 करोड़ रुपये का कारोबार ठप हो गया है. छड़, गिट्टी, सीमेंट, बिजली पार्ट्स के विक्रेताओं के सामने भुखमरी की स्थिति आ गयी है. कई-कई दिनों तक इनके यहां दुकान में बोहनी तक नहीं हो रही. दुकान में काम करने वाले स्टाफ को मजदूरी तक देने के पैसे नहीं निकल रहे.
प्रतिमाह एक अनुमान के अनुसार सीमेंट, गिट्टी, छड़ और बिजली के सामान का कारोबार जिले में 98 से 109 करोड़ का है. इन पर लगभग 3862 कारोबारी परिवारों के अलावा 50 हजार परिवार जुड़े हुए हैं. इनके सामने बालू ने रोटी का संकट पैदा कर दिया है. बिजली के सामान की बिक्री घट कर 10 फीसदी रह गयी है. बालू अप्रैल, 2017 से ही मार्केट से आउट है. अगस्त में प्रशासन ने खुदरा बिक्री पर रोक लगा दी. उसके बाद से बालू ब्लैक मार्केट में बालू माफियाओं के द्वारा मनमाने कीमत पर बेचा जा रहा है.
जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. माफियाओं के नेटवर्क के आगे शायद प्रशासन ने भी घुटना टेक दिया है. इस कारण छड़, गिट्टी, सीमेंट, बिजली के कारोबार पर गंभीर असर पड़ा है.
गोपालगंज- बालू ने जिले में रोका प्रतिमाह करोड़ों का कारोबार
मजदूरों के हाथों से छिन गया रोजगार : बालू के अभाव में मकान, पीसीसी सड़क निर्माण, पुल-पुलिया का निर्माण ठप पड़ा हुआ है. सरकारी और गैर सरकारी कार्यों में प्रतिदिन 34980 मजदूरों को रोजगार मिलता था जो अगस्त से नहीं मिल रहा है. मजदूरों के हाथों से रोजगार छिन जाने के कारण कई मजदूर कृषि के कार्यों में लगे हुए हैं तो अनुमान के अनुसार 16-18 हजार मजदूरों को दूसरे प्रदेशों में पलायन करना पड़ा है. इसमें राजमिस्त्री, लेबर, प्लंबर, बिजली मिस्त्री आदि शामिल हैं.
लकड़ी के कारोबार पर भी पड़ा प्रतिकूल असर : मकान बनाने का कार्य ठप होने के कारण लकड़ी का कारोबार भी कुप्रभावित हुआ है. जिले में मकान बनाने के लिए दरवाजा, खिड़की, चौखट आदि लकड़ी का उपयोग होता है. आमतौर पर 20 करोड़ का कारोबार लकड़ी का अगस्त महीने से ठप पड़ा हुआ है. इस कारण लकड़ी कारोबारी के अलावा कारीगर और मजदूरों के सामने भी रोटी का संकट है.
प्रतिमाह का कारोबार
सीमेंट30
छड़25
गिट्टी22
बिजली का सामान12
लकड़ी20
कुल109
(व्यवसाय करोड़ रुपये में)
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