पुलिस की चुक के कारण इस बार कोर्ट ने कांड की विवेचना करनेवाले अधिकारी से लेकर एसपी तक के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश पर सीजेएम विश्व विभूति गुप्ता के कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है. कोर्ट में कार्रवाई शुरू हो गयी है. मामला नगर थाने का है. वहां पुलिस ने दहेज हत्या के मामले में महिला को मृत मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट सौंप चुकी थी. जिस दिन सजा के बिंदु पर सुनवाई थी उसी दिन महिला के जिंदा होने का सबूत एडीजे, आठ शोभाकांत मिश्र के कोर्ट को मिला.
एडीजे आठ के कोर्ट ने न सिर्फ केस को झूठा करार दिया बल्कि केस के अनुसंधान में जुटे नगर थाना के पुलिस अफसर, इंस्पेक्टर, डीएसपी, एसपी पर अलग से कार्रवाई के लिए सीजेएम कोर्ट को अधिकृत किया था. साथ ही कांड के सूचक पर झूठा केस करने के मामले में अलग से मुकदमा चलाने का आदेश था. सोमवार को कांड में कार्रवाई शुरू होने से कांड की विवेचना में शामिल पुलिस अधिकारियों की मुश्किल बढ़ गयी है.
छह माह तक ससुर, पति को रहना पड़ा जेल में
पुलिस के सामने 61 वर्षीय विक्रमा पाल खुद को बेगुनाह बताया था. पुलिस इंस्पेक्टर से लेकर एसपी तक से आग्रह किया. उसकी बात को नहीं सुनी गयी. पुलिस ने बहू की हत्या कर शव को जला कर साक्ष्य मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पुलिस का दबाव बढ़ा तो पति ने भी कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया. छह-छह माह जेल रहने के बाद पटना हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हुए.
पुलिस ने लिया यू टर्न
जेल से बाहर आते ही पति पत्नी की सच्चाई का पता लगाने में जुट गया. इसकी जानकारी पति ने जब सीजेएम विश्व विभुती गुप्ता की कोर्ट को सितंबर 2017 में दी तो इस मामले की पुन: जांच नगर थाने की पुलिस से करायी गयी. पुलिस ने अपनी जांच में महिला को जीवित बताया है तथा दहेज उत्पीड़न के केस चलाने की अपील कोर्ट से की है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने दहेज हत्या की केश को झूठा मानते हुए खारिज कर दिया.
क्या है पूरा मामला
नगर थाने के भीतभेरवा के विक्रमा पाल के बेटा गुड्डु पाल की शादी 16 जून, 2013 को यूपी के देवरिया जिले के खामपार थाना क्षेत्र के पटोहा उत्तर टोले में सतनारायण पाल की बेटी अंजू के साथ हुई थी. शादी के बाद अंजू ससुराल आकर रहने लगी. इस बीच अंजू अचानक 8 मार्च, 2015 को ससुराल से गायब हो गयी. उसकी गायब होने की खबर पर नौ मार्च को उसके पिता सत्यनारायण पाल ने नगर थाने में दहेज हत्या की कांड संख्या 96/15 केस दर्ज किया. इसमें ससुर विक्रमा पाल, पति गुड्डु पाल तथा सुनीता देवी को आरोपित किया गया. पुलिस ने ससुर विक्रमा पाल को गिरफ्तार कर जून, 2016 में जेल भेज दिया. पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए पति गुड्डु पाल ने भी सरेंडर कर दिया.
जज ने किया था कमेंट
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस कल्पना के बल पर दहेज हत्या जैसे संगीन आरोप में चार्जशीट दाखिल कर दी. विक्रमा पाल और उसके बेटा गुड्डु पाल के जेल में छह माह रहने पर कोर्ट ने अफसोस जताया है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि पुलिस अगर संजीदगी के साथ कांड की जांच की होती तो दोनों लोग बेगुनाह होकर जेल भी नहीं गये होते. अगर इस कांड के आरोपित गुड्डु पाल कोर्ट को साक्ष्य नहीं दिया होता तो आज इनकी सजा भी हो जाती. इस मामले में आईओ से लेकर एसपी तक कार्रवाई करने का आदेश कोर्ट ने दिया है.
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