जिले से गुजर रही हाईवे की दशा वाहन चालकों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। जिले की सीमा में स्थित 46 किलोमीटर की दूरी तक हाईवे पर एक दर्जन से भी अधिक स्थानों पर डेथ प्वाइंट हैं। निर्माणाधीन हाईवे के कई इलाकों में न ही कहीं रिफ्लैक्टर लगा है और ना ही ट्रैफिक सिग्नल। ऐसे में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि यहां यातायात की व्यवस्था अभी तक ठीक नहीं हुई है। सड़कों पर फर्राटा भरते वाहनों के बीच हर दिन दुर्घटनाएं होती हैं। इस दुर्घटना में हर वर्ष दर्जनों लोगों की जान जाती है। दर्जनों लोग प्रति वर्ष दुर्घटना में घायल होकर अपंग हो जाते हैं। बावजूद इसके दुर्घटनाओं पर लगाम के लिए बेहतर व्यवस्था करने की अब तक पहल नहीं की गई है। आलम यह है कि प्रति वर्ष वाहनों की संख्या में तो वृद्धि हो रही है, लेकिन यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने की कवायद करीब शून्य है। जिला मुख्यालय सहित जिले के किसी भी शहरी इलाके में ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था अबतक लागू नहीं हो सकी है। मुख्य चौक-चौराहे पर लोग अपने विवेक से सड़क पर इस पार से उस पार होते हैं। जिन चौक-चौराहों पर अधिक भीड़ होती है या उधर से वरीय पदाधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है, वहां होमगार्ड व बिहार पुलिस के जवान ट्रैफिक को नियंत्रित करते दिखते हैं। जिले में स्थित राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 28 पर कई इलाकों में यातायात संकेतक नहीं है। इस सड़क को अभी फोर लेन बनाने का काम चल रहा है। कमोवेश यहीं स्थिति शहरी इलाकों में भी नजर आती है। स्कूल-कॉलेज, अस्पताल आदि के पास कुछ चिन्हित स्थानों को छोड़ अन्य स्थानों पर संकेतक इस जिले में देखने को नहीं मिलते हैं।
अधूरा निर्माण भी हादसों की बड़ी वजह:
जिले से होकर गुजरने वाली दो राष्ट्रीय उच्च पथ पर सरपट चाल ही सपना बना हुआ है। डिवाइडर, पार्किंग स्लॉट से लेकर कलर लाइट रिफ्लेक्टर्स की बात करना भी बेमानी है। कई स्थानों पर एनएच जानलेवा बनी हुई हैं। आबादी वाले इलाकों में बनाए जाने वाले ओवरब्रिज अधूरे पड़े हैं। ऐसे में लोग जान हथेली पर लेकर सड़क पर चलते है और भगवान का नाम लेकर उसे पार करते हैं। जिले से होकर एनएच-28 और एनएच-85 गुजरती है। करीब 12 साल पहले एनएच-28 को फोरलेन बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन यह काम आज तक पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में एनएच पर हर दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जिले की सीमा में एनएच के किनारे पड़ने वाली आबादी के पास ओवर ब्रिज बनाने का काम भी शुरू हुआ। लेकिन यह निर्माण कार्य लंबी अवधि बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है।
हाईवे पर दर्जन भर डेथ प्वाइंट:
राष्ट्रीय उच्च पथ पर दर्जन भर स्थान पर डेथ प्वाइंट हैं। बथना मोड़ के अलावा कोन्हवां, भठवां मोड़, छवहीं, कोइनी, बरहिमा, महम्मदपुर तथा बढेया मोड़ जैसे कई स्थान हैं जहां पिछले पांच साल में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। मांझा थाना क्षेत्र की सीमा में स्थित कोइनी मोड़ को तो अंधा मोड़ के नाम से जाना जाता है। यहां कई लोग दुर्घटना में काल कलवित हो चुके हैं। बावजूद इसके एनएच की दशा में अबतक सुधार नहीं हो सका है।
असावधानी दुर्घटनाओं की बड़ी वजह:
हाईवे सहित तमाम स्थानों पर होगी वाली दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह असावधानी है। वाहनों के परिचालन में नियमों का उल्लंघन व दोषी वाहन चालकों की पहचान कर उनपर कार्रवाई का अभाव इसका सबसे बड़ा कारण है। आलम यह है कि यहां यातायात के नियमों की जांच के नाम पर महज कोरम पूरा किया जाता है। प्रशासनिक स्तर पर कभी भी इसके लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता। यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण आए दिन हादसे होते हैं। बावजूद इसके इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद आज तक नहीं की जा सकी है।