सदर अस्पताल में शुरू की गई विशेष चिकित्सा व्यवस्था अब अंतिम सांसे गिन रही हैं। पहले सदर अस्पताल में खोला गया आइसीयू बंद हो गया। अब सदर अस्पताल का एसएनसीयू भी बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। एसएनसीयू में एक चिकित्सक को तैनात जैसे तैसे चलाया जा रहा है। एक चिकत्सक आठ घंटे ड्यूटी देते हैं। 17 घंटे एनएनसीयू एएनएम के भरोसे चलता है। ऐसे में नवजात शिशुओं हालत गंभीर होने की स्थिति में सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराने की जगह उन्हें पटना या गोरखपुर रेफर देना चिकित्सकों की मजबूरी बन गई है। चिकित्सक की कमी से एसएनसीयू अब अपना मायने खोलने लगा है। इसके साथ ही कहीं आइसीयू के तरह एसएनसीयू को भी बंद न कर देना पड़े इसकी भी आशंका दिखने लगी है।
सरकार ने सदर अस्पतालों में चिकित्सा की विशेष सुविधा उपलब्ध करने की पहल की थी। इस पहल के तहत सदर अस्पताल में चार साल पहले आइसीयू खोला गया। लेकिन खुलने के साथ ही आइसीयू में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी का असर दिखने लगा। खुले के छह महीना बाद ही आइसीयू बंद हो गया। आइसीयू को फिर एक साल बाद चालू किया गया। लेकिन चिकित्सक तथा विशेष रूप से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण आइसीयू फिर बंद हो गया। पिछले एक साल से आइसीयू बंद पड़ा हुआ है। अब यही स्थिति सदर अस्पताल में खोले गए एसएनसीयू की बनती जा रही है। करीब एक साल पहले नवजात शिशुओं के जीवन की रक्षा के लिए सदर अस्पताल परिसर में एसएनसीयू खोला गया। लेकिन एसएनसीयू खोलने के बाद भी चिकित्सकों की संख्या नहीं बढ़ी। शिशु रोग विशेषज्ञ तथा चिकित्सकों की कमी का असर एसएनसीयू पर दिखने लगा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार एसएनसीयू में चिकित्सकों की कमी के कारण एक चिकित्सक तैनात किए गए हैं। ये चिकित्सक आठ घंटा ड्यूटी करते हैं। 16 घंटे एनएनसीयू एएनएम के भरोसे चलता है। चिकित्सकों की कमी के कारण एसएनसीयू में भर्ती किए जाने वाले शिशुओं की विशेष देखभाल करने में समस्याएं आ रही हैं। जिससे एसएनसीयू के बंद होने की आशंका भी दिखने लगी है।
सफल नहीं हुई आइसीयू की दशा सुधारने की पहल:
बंद पड़े सदर अस्पताल के आइसीयू की दशा सुधार कर उसे फिर से खोले को लेकर की गई पहल अब तक सफल नहीं हो सकी है। सिविल सर्जन डॉ.एके चौधरी ने करीब छह महीने पहले आइसीयू में खराब पड़े उपकरण तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए प्रयास किया था। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पटना को आइसीयू में खराब पड़े उपकरण तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए पत्र भेजा गया था। लेकिन अभी तक आइसीयू की दशा सुधारने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग से कोई पहल नहीं की गई है। जिससे आइसीयू के फिर से चालू होने की उम्मीद पर ग्रहण लग गया है।
क्या कहते हैं डीपीएम
चिकित्सकों की कमी के कारण एसएनसीयू में एक डॉक्टर को ही तैनात किया गया है। जिसको की कमी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। चिकित्सकों की कमी के कारण एसएनसीयू में भर्ती शिशुओं बच्चों की देखभाल के लिए एएनएम को चौबीस घंटे तैनात किया गया है।
अर¨वद कुमार झा, डीपीएम