सदर अस्पताल के चिकित्सको की लापरवाही एक बार फिर सामने आयी है, जब ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सकों ने नवजात बच्चे को मृत घोषित कर दिया। उसके बाद परिजनों ने जब बच्चे को मिटटी में दफ़न कर दिया तो कब्र से बच्चे की रोने की आवाज आई।
बच्चे के रोने की आवाज सुनकर परिजनों ने नवजात को कब्र से बाहर निकाला और उसे सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लेकर आये, लेकिन तबतक ज्यादा ब्लीडिंग होने की वजह से बच्चे की दर्दनाक मौत हो गयी। घटना सदर अस्पताल के एसएनएसयू वार्ड की है।
मृतक बच्चे के पिता का नाम नीरज प्रसाद है। वे थावे के पिठौरी के रहने वाले है। नीरज की पत्नी दिव्या कुमारी को प्रसव के बाद उसके बच्चे को मंगलवार को सदर अस्पताल के एसएनएसयू वार्ड में भर्ती कराया गया। यहाँ से आज ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ कृष्णा कुमार ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
बाद में परिजनों ने अपने गाव के बाहर खेत में बच्चे को दफ़न कर दिया। दफ़न करने के बाद अचानक कब्र से बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। जिसके बाद परिजनों ने आनन-फानन में जल्दी से कब्र से मिटटी हटाकर बच्चे को बाहर निकाला।
मृत बच्चे की नानी मधु देवी के मुताबिक जैसे ही उन्होंने अपने नाती को मिटटी के कब्र से बाहर निकाला. उसका धड़कन चल रहा थी और वह बच्चा रो रहा था। परिजनों के मुताबिक जैसे ही बच्चे को दोबारा सदर अस्पताल में लेकर आये, लेकिन यहां लगातार ब्लीडिंग होने की वजह से बच्चे की मौत हो गयी।
इस संबंध में पूछे जाने पर सीएस डॉ अशोक कुमार चौधरी ने बताया की यहां से चिकित्सको ने बच्चे को मृत घोषित नहीं किया था। ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने बच्चे को पीएमसीएच के लिए रेफर कर दिया था। लेकिन परिजन उसे मृत समझकर वापस घर लेकर चले गए। सीएस ने कहा की जिन्दा दफ़न करने की बाद सही नहीं है, यह लोगों का भ्रम है।