बैकुंठपुर के महम्मदपुर थाना क्षेत्र के बहादुरा गांव के समीप एसएच 90 पर तेज गति से जा रहे एक ट्रक ने एक बाइक को रौंद दिया। जिससे बाइक पर सवार दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क को जाम कर दिया। वे मृतक के परिजन को मुआवजा देने की मांग कर रहे थे। इसी बीच सूचना मिलने पर मौके पर पुलिस के साथ पहुंचे थानाध्यक्ष विजय प्रताप सिंह ने ग्रामीणों को समझा कर शांत कराया। इसके बाद पुलिस ने दोनों मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
बताया जाता है कि बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के सिंहासनी गांव निवासी स्वर्गीय सकलदेव गिरी के पुत्र 35 वर्षीय महेश गिरी तथा इसी गांव के निवासी स्वर्गीय गणेशचंद्र गिरी के पुत्र 36 वर्षीय हरिहरशरण गिरी फेरी कर कपड़ा बेचते थे। दोनों युवक रेडीमेड कपड़ा बेचने के लिए एक बाइक पर सवार होकर पूर्वी चंपारण जिले के कोटवा बाजार की तरफ गए थे। वहां से दोनों युवक बाइक से गुरुवार की रात अपने घर लौट रहे थे। अभी ये बहादुरा गांव के समीप पहुंचे ही थे कि तभी तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने बाइक को टक्कर मार दिया। जिससे दोनों युवक सड़क पर गिर गए। तभी पीछे से आ रहे दो ट्रक दोनों युवकों को कुचलते हुए निकल गए। जिसे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे की जानकारी मिलने पर आक्रोशित ग्रामीणों ने एसएच 90 को जाम कर दिया। ग्रामीण मृतक युवकों के परिजनों को मुआवजा देने तथा ट्रक चालक को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे। बाद में सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों को समझा कर शांत करा दिया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
दो युवकों की मौत से गांव में पसरा मातम:
सिंहासनी गांव में गुरुवार की रात हरिहर शरण गिरी तथा महेश गिरी की हादसे में मौत की खबर परिवार वालों को मिली तो गांव में कोहराम मच गया। दोनों युवकों की जानकारी होते ही ग्रामीणों की भीड़ मृतक युवकों के घर पर उमड़ पड़ी। शुक्रवार को इस गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। बताया जाता है कि हादसे का शिकार बने महेश गिरी दस साल से फेरी लगाकर कपड़ा बेच कर अपनी विधवा मां देवंती कुंवर , पत्नी ऊषा देवी तथा चार बच्चे विकास , धीरज ,सपना और कल्पना का भरण -पोषण कर रहे थे। सड़क हादसे में इनकी मौत से इस परिवार का जीविका का आधार भी छिन गया। 7 ठीक यही हाल हादसे के शिकार बने हरिहर शरण गिरी के परिजनों का भी है। पत्नी रिंकू देवी बार-बार मूर्छित हो जा रही थीं। बड़े भाई अखिलेश्वर गिरी तथा छोटे भाई शशिकांत गिरी अपने भाई का शव देखते हीं दहाड़ मारकर रो पड़े। बेटे बिट्टू , धन्नु तथा बेटी वंदना व श्वेता रो रोकर अचेत हो जाती रहीं।