स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा में नकली सोना जमाकर करोड़ों के ऋण में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद इस मामले में परत दर परत खुलासे हो रहे हैं. दरअसल नकली सोना जमाकर 2.25 करोड़ ही नहीं, बल्कि 2.54 करोड़ का ऋण विभिन्न लोगों के नाम पर दिया गया है. कृषि गोल्ड लोन के फर्जीवाड़ा का मास्टरमाइंड सतीश प्रसाद अपने कारोबार को बंद कर फरार हो चुका है. पांच दिन पहले से ही सतीश प्रसाद को बैंक के सूत्रों से जानकारी मिल चुकी थी कि फर्जीवाड़े का खुलासा हो चुका है. जानकारी मिलने के साथ ही गत बुधवार अपने दुकान में ताला बंदकर सतीश प्रसाद भूमिगत हो गया. सतीश प्रसाद मूल रूप से मांझा थाना क्षेत्र के भड़कुईया गांव का रहने वाला है.
बैंक में कृषि कार्य के लिए सोना बंधक रखकर ऋण लेने के की योजना लागू होने पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने साक्षात्कार लेकर मेन रोड स्थित मुरलीवाला मार्केट में मनमोहन गहना लोक के प्रोपराइटर सतीश कुमार प्रसाद को मूल्यांकनकर्ता के रूप में अधिकृत किया. सतीश प्रसाद पूरी प्लानिंग के तहत बैंक में सक्रिय दलालों के माध्यम से अपने नेटवर्क को मजबूत कर अपने ही दुकान से नकली सोना ऋण धारकों को देकर उसे कृषि गोल्ड लोन लेने के लिए बैंक भेजा. बैंक में मूल्यांकन भी खुद किया और सभी सोना को शुद्धता की प्रमाणपत्र भी दिया. इसके एवज में कई ऋण धारकों के एटीएम कार्ड और बैंक पासबुक भी दलाल और सतीश प्रसाद मिल रख लिये. यह ऋण की राशि 50 फीसदी ही ऋणियों तक पहुंच पाया. सतीश प्रसाद अब भूमिगत हैं. बैंक अधिकारी और पुलिस दोनों उसकी तलाश कर रहे हैं.
क्या है कृषि गोल्ड लोन:
बैंक ने किसानों को महाजनों से मुक्ति दिलाने के लिये कम ब्याज पर गोल्ड देने का निर्णय लिया. कोई किसान गोल्ड wलोन लेना चाहे तो उन्हें 18 कैरेट के गोल्ड पर प्रति 10 ग्राम 14,800,22 कैरेट गोल्ड पर प्रति 10 ग्राम 18,100 रुपये, 24 कैरेट गोल्ड पर प्रति 10 ग्राम 19,700 रुपये का भुगतान किया जायेगा. आभूषणों के 75 प्रतिशत मूल्य तक या अधिकतम 10 लाख तक का लोन मिल सकता है. इसके लिये किसानों को मात्र 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा. अगर वे एक वर्ष में राशि का भुगतान करते हैं तो उन्हें ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट मिलेगी यानी कि उन्हें मात्र 4 प्रतिशत ब्याज के साथ मूलधन जमा करना होगा.
बैंक को अधिकारियों ने लगाया चूना:
बैंक लोन से आने वाली ब्याज से ही अपनी कमाई करती है. बैंक अधिकारियों ने कारोबारियों को सस्ता ब्याज यानि 4 प्रतिशत बताकर उनको कृषि गोल्ड लोन दिया जो स्पष्ट करता है कि बैंक अधिकारियों ने जान-बूझकर बैंक को चूना लगाया. कारोबारी अगर गोल्ड लोन लेते है तो उन्हें सात से 11 फीसदी ब्याज देना होता है, जबकि किसान गोल्ड लोन लेता है तो उसे चार से सात फीसदी का ब्याज लगता है. अधिकतर लोन 2015 से मार्च 2018 के बीच हुआ है. इस दौरान बैंक के मुख्य शाखा प्रबंधक के रूप में 13 नवंबर 2013 से 21 नवंबर 2016 तक राघव पांडेय, 22 नवंबर 2016 से 3 अक्तूबर 2017 तक रंजन कुमार तथा तीन अक्तूबर 2017 से शैलेंद्र कुमार अब तक है. इन तीनो लोगों को कार्यकाल में नकली सोना जमाकर बैंक लोन जारी हुआ है.
कृषि गोल्ड लोन का प्रायोजन:
बैंक किसानों/कृषिविदों को फसल उत्पादन व्ययों, कृषि एवं/अथवा सहायक कृषि गतिविधियों से संबंधित निवेश व्ययों की पूर्ति करने हेतु अपनी चलनिधि बढ़ाने के लिए स्वर्ण आभूषणों/सोने के गहनों पर झंझटमुक्त ऋण देता है.
किसे मिलता है कृषि गोल्ड लोन:
ऐसा कोई भी व्यक्ति जो कृषि अथवा सहायक गतिविधियों से जुड़ा हो. इसके साथ ही कृषि के अंतर्गत वर्गीकरण हेतु पात्र गतिविधियों से जुड़ा कोई भी व्यक्ति. कृषि गतिविधि (भू-अभिलेख आदि का प्रमाण) का प्रमाण आवश्यक है.
बैंक में पहुंच कर दो ऋणियों ने जमा की राशि
कृषि गोल्ड लोन में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सोमवार को अशोका गली के रहने वाले केदार प्रसाद के पुत्र राजेश कुमार तथा अजीत कुमार बैंक पहुंचे और राजेश कुमार ने अपना एक एकाउंट में तीन लाख रुपया जमा कर क्लोज करा दिया तो, अजीत कुमार ने भी तीन लाख रुपया जमा कर एकाउंट को बंद करा लिया, जबकि राजेश कुमार के नाम से अब भी एक एकाउंट तीन लाख रुपये का बाकी हैं.
किसान कैसे करेंगे भुगतान:
किसान क्रेडिट कार्ड की तरह यह 3 वर्षों की अवधि के लिए चल खाता होगा, जिसकी समीक्षा वार्षिक अंतरालों पर की जायेगी. मांग ऋण/मीयादी ऋण: ऋण की चुकौती अवधि इस तरह से तय की जाये कि वह फसल कटाई एवं विपणन मौसम/गतिविधि से आय के समय हो, जिससे फसल काटने के बाद उत्पाद का विपणन एवं राशि वसूल करने के लिए 2 से 3 महीनों का समय मिल सकें. पर कुल अवधि अल्पावधि ऋण/उत्पादन ऋण के मामले में ऋण संवितरण से एक वर्ष से अधिक तथा अन्य मामलों में 36 महीनों से अधिक न हों.
इंटरनल जांच में पूरे दिन उलझे रहे बैंक अधिकारी:
कृषि गोल्ड लोन में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बैंक का इंटरनल जांच जारी है. बैंक के वरीय अधिकारी जांच में पूरे दिन जुटे रहे. रिजनल ऑफिस से लेकर मुख्यालय तक से पल- पल की जानकारी ली जा रही है. एक-एक ऋण एकांउट कर मॉनीटरिंग की जा रही हैं. बैंक अधिकारियों को पूरा जोर है कि हर हाल में ऋणियों से राशि जमा करा ली जाय. स्टेट बैंक के एडीबी शाखा में सोमवार को बैंक खुलते ही ग्राहक पहुंचकर अपना लेन देन करने लगे, जबकि मुख्य शाखा प्रबंधक शैलेंद्र कुमार एक-एक बैंक एकाउंट की फिडबैक अधिकारियों को देने में जुटे रहे.
प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सुस्त पड़ी पुलिस की कार्रवाई:
नगर थाने में 178 ऋणियों और इस कांड के मास्टर माइंड सोना मूल्यांकनकर्ता के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस की कार्रवाई सुस्त पड़ गयी हैं. पुलिस अब तक इस मामले में जांच पड़ताल भी शुरू नहीं की है. इसका लाभ फर्जीवाड़ा में लिप्त लोग उठा रहे है. बैंक के अधिकारियों की माने तो पुलिस को जब इस कांड की सूचना दी गयी. तत्काल कार्रवाई हुई रहती तो इस कांड का मास्टरमाइंड सतीश प्रसाद गिरफ्त में होता.
बैंक पर करेंगे मुकदमा:
कुचायकोट के करमैनी गाजी के रहने वाले आसनारायण सिंह के पुत्र अशोक कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि मैंने मार्च, 2018 में अपने परिवार का असली सोना बंधक रखकर लोन लिया. मैं कोर्ट में अपना लोन की राशि जमा करूंगा. बैंक हमारा जमा कराया हुआ असली सोना वापस करें. मैंने जब सोना जमा किया तो वह असली था. उसका प्रमाण पत्र भी मेरे पास है. अब बैंक के अधिकारी उसे कैसे नकली बता कर एफआईआर दर्ज किये है इससे मेरे प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ किया गया है. मैं कोर्ट में बैंक अधिकारियों के करतूत के खिलाफ मुकदमा दायर करूंगा.
किसानों के बदले कारोबारियों को दिया कृषि गोल्ड लोन:
कृषि गोल्ड लोन मुख्य रूप से किसानों को देना था. दलालों ने बैंक अधिकारियों को अपने प्रभाव में लेकर बड़े पैमानें पर फर्जीवाड़ा किया. वैसे लोगों को कृषि गोल्ड लोन दिलाया जो कारोबारी थे. नमूना के तौर पर अशोका गली के रहने वाले राजेश प्रसाद तथा उसके भाई अजीत कुमार को लोन दिया गया. राजेश प्रसाद के नाम पर अलग-अलग दो लोन एकाउंट के जरिये तीन-तीन लाख की राशि दी गयी. ये मूल रूप से छपरा के निवासी है. जरा गौर करिये छपिया के रहने वाले म सिकंदर आजम के दो पत्नियां आसमा खातून और सरवरी खातून के नाम पर दो-दो लोन का एकाउंट खोल कर लोन दिया गया. पुरानी चौक के अभिषेक रंजन गुप्ता के नाम पर भी एक नहीं दो- दो एकाउंट दिया गया. उचकागांव के अनवर हुसैन को भी महज एक दिन के अंतराल में 3.62 लाख का दो दो बार लोन दिया गया. बैंक अधिकारियों ने जानकारी तक लेने का प्रयास नहीं किया. नकली सोना आका गया और बैंक का पैसा लोन के रूप में रेवड़ी की तरह बांट दिया गया.