Bihar Local News Provider

कैदी के पेट में मोबाइल फटने का था खतरा, बिना ऑपरेशन घंटे भर की मशक्कत के बाद ऐसे निकाला गया…

गोपालगंज जेल में बंद कैदी ने पिछले दिनों छापेमारी के दौरान डर के मारे मोबाइल फोन ही निंगल लिया था. कैदी जेल में चोरी-छिपे फोन का इस्तेमाल करता था. अचानक जेल में एक दिन छापेमारी की गयी तो कैदी ने आनन-फानन में फोन ही निंगल लिया था. जिसके बाद अब डॉक्टरों ने काफी मशक्कत के बाद उसके पेट से फोन निकाल दिया है. बिना सर्जरी किए फोन बाहर निकाला गया.

बिना सर्जरी किये डॉक्टरों ने मोबाइल निकाला

गोपालगंज जेल में बंद कैदी के पेट से आइजीआइएमएस के डॉक्टरों ने मोबाइल फोन निकाल दिया है. बिना सर्जरी किये इंडोस्कोपी तकनीक से डॉक्टरों ने मोबाइल निकाला. मरीज 27 वर्षीय कैसर अली गोपालगंज जेल में बंद था, जहां 16 फरवरी को चेकिंग के दौरान उसने इस मोबाइल को निंगल लिया था.

एक्स रे में पेट में दिखा मोबाइल, इंडोस्कोपी का लिया गया सहारा

IGIMS के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनीष मंडल ने बताया कि हालत खराब होने के बाद कैसर को गोपालगंज से पीएमसीएच अस्पताल लाया गया, जहां से उसे आइजीआइएमएस रेफर कर दिया गया. यहां गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ आशीष कुमार झा ने एक्सरे करायी, तो पेट में मोबाइल दिखा, जिसके बाद इंडोस्कोपी करने का निर्णय लिया गया.

बैटरी अगर लिक होती तो पेट में फैल जाता एसिड

डॉ आशीष झा ने बताया कि गनीमत था कि जेल प्रशासन की मदद से उसे समय पर अस्पताल ला दिया गया, वरना लेट होने के बाद मरीज के जान को भी खतरा था. क्योंकि मोबाइल की बैटरी अगर लिक हो जाती, तो उसका एसिड व लिथियम पेट में फैल जाता. इससे वह पेट को पूरी तरह से जला देता. फिर पेट में छेद हो जाता और मरीज की हालत गंभीर हो जाती.

45 मिनट चली इंडोस्कोपी, फिर पेट से बाहर निकला मोबाइल

डॉक्टर ने बताया कि करीब 45 मिनट तक इंडोस्कोपी की गयी. मोबाइल फोन बाहर निकलते ही मरीज ने राहत की सांस ली. बाद में वह खाना-पीना खाने लगा. डॉ मनीष मंडल ने कहा कि मोबाइल खाने की थैली में जाकर फंसा हुआ था. वहीं संस्थान के निदेशक डॉ बिंदे कुमार ने डॉ आशीष झा व उनकी टीम को बधाई दी है.

https://gopalganj.org/city-news/16717/