बिहार उपचुनाव 2022 का घमासान अब तेज हो गया है. अगले महीने 3 नवंबर को मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीट पर मतदान होना है. दोनों सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गयी है. गोपालगंज सीट पर इसबार मुकाबला दिलचस्प बन गया है. चार उम्मीदवारों के बीच कौन बाजी मारेगा ये सवाल अब 6 नवंबर तक के लिए एक रहस्य ही है. वहीं गोपालगंज में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की एंट्री हो चुकी है. AIMIM उम्मीदवार अब्दुल सलाम का चुनाव चिन्ह बदल दिया गया है.
अब्दुल सलाम का चुनाव चिन्ह बदला गया
एआइएमआइएम प्रत्याशी अब्दुल सलाम का चुनाव चिन्ह बदल दिया गया. इसके पीछे की वजह भी सामने आ गयी है. चुनाव के नियमों के कारण उन्हें ये खामियाजा भुगतना पड़ा है. निर्वाची पदाधिकारी ने बताया कि दूसरे प्रदेश की पार्टी का सिंबल लेकर चुनाव लड़ने की अनुमति भारत निर्वाचन आयोग से लेनी होती है. प्रत्याशी द्वारा अनुमति नहीं लेने के कारण उनका चुनाव चिन्ह बदल दिया गया. इस उपचुनाव में AIMIM के उम्मीदवार को उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया है.
गोपालगंज में AIMIM की नजरें
बता दें कि गोपालगंज उपचुनाव से इस बार AIMIM को भी काफी उम्मीदें है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में AIMIM ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया था. सीमांचल के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में पार्टी ने अपना झंडा गाड़ा था. सियासी पंडित कहते हैं कि सीमांचल के परिणाम ने ही राजद को सत्ता से दूर किया था. वहीं अब गोपालगंज में भी AIMIM ने एंट्री ली है. इसके पीछे की बड़ी वजह यहां की मुस्लिम आबादी है. गोपालगंज में सबसे अधिक मुस्लिम वोटर हैं जिनकी संख्या 65 हजार के आस-पास है. ओवैसी की पार्टी इन्हीं वोटरों पर अधिक निशाना साधेगी.
गोपालगंज में टक्कर
गौरतलब है कि गोपालगंज में पिछले 4 चुनाव से भाजपा ने अपना झंडा गाड़ा है. बीजेपी के सुभाष सिंह यहां से लगातार जीते हैं. उनके निधन के बाद ही ये सीट खाली हुई और उपचुनाव हो रहा है. भाजपा ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि बिहार में सियासी उलटफेर के बाद अब राजद और जदयू साथ हैं. यहां आरजेडी ने अपना प्रत्याशी महागठबंधन की ओर से उतारा है. जबकि तेजस्वी यादव की मामी यानी राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने अपनी पत्नी इंदिरा यादव को इस बार बसपा प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है. कुल 9 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं.
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