लालू प्रसाद यादव के जिस करीबी हृदयानंद यादव को सीबीआई ने बुधवार को पटना से गिरफ्तार किया है, उनका गोपालगंज से बड़ा कनेक्शन है. हृदयानंद यहीं के उचकागांव थाना के इटवा गांव के रहनेवाले हैं. सीबीआई ने इसके पहले हृदयानंद यादव की गिरफ्तारी के लिए 20 मई को पैतृक गांव इटवा स्थित मकान पर छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान सीबीआई के हाथ नहीं लगे थे हृदयानंद, लेकिन मकान से कई दस्तावेज मिले थे जिन्हें जब्त कर हृदयानंद के भाई और रिश्तेदारों से पूछताछ की गई थी.
गोपालगंज में उस वक्त सीबीआई की छापेमारी के बाद कई तथ्य सामने आए थे. सीबीआई की 5 घंटे की छापेमारी के दौरान रेलवे के कर्मी और लालू प्रसाद के रिश्तेदार हृदयानंद यादव से जुड़े दस्तावेज, बैंक पासबुक समेत जमीन के कई कागजात मिले, जिससे आरआरबी में हुए फर्जीवाड़े का राज खुलने की संभावना जताई गई. वहीं इटवा गांव में छापेमारी के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी हेमा यादव को भी अभियुक्त बनाया है.
सीबीआई की पूछताछ में हृदयानंद यादव के बड़े भाई देवेंद्र यादव ने दलील दी थी कि लालू प्रसाद की बेटी हेमा यादव को भावनात्मक बहन मानते हैं. इसलिए हृदयानंद यादव ने जमीन गिफ्ट की है. हेमा यादव को गिफ्ट में दी गई प्रॉपर्टी कहां की है, कितने की है, कैसे हृदयानंद के पास इतनी प्रॉपर्टी आई, इन तमाम बिंदुओं पर सीबीआई ने जांच की. इसके लिए सीबीआरआई ने परिवार के सदस्यों से पूछताछ की.
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद भारत सरकार में जब रेलमंत्री थे, तब गोपालगंज के उनके करीबी और रिश्तेदारों को रेलवे में नौकरी मिली थी. इन्हीं लोगों में एक हृदयानंद यादव अभी भी रेलवे में नौकरी करते हैं. इनके अलावा कई और लोग हैं, जिन्हें चीन्हित किया गया है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से इन परिवारों का क्या रिश्ता रहा है, इस मामले में भी सीबीआई ने जानकारी ली. उसके बाद चर्चा में आए हृदयानंद की गिरफ्तारी बुधवार को पटना से की गई.
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