थावे प्रखंड का विशम्भरपुर गांव एक मिसाल है.यहां के ग्रामीण वर्षो से पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश दे रहे है. धतिंगना पंचायत के इस गांव में हर दरवाजे पर एक पेड़ लगाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.
छोटे से गांव विशम्भरपुर की आबादी करीब तीन हजार है,जबकि यहां बीस हजार से ज्यादा पौधे लगाये गए है. इस गांव में डेढ़ सौ परिवार है. लेकिन इतनी आबादी के बावजूद इस गांव की हरियाली किसी पहाड़ी इलाके से कम नहीं है. इसलिए इस गांव को लोग ग्रीन विलेज के नाम से भी जानते हैं.
इस गांव की सड़कों पर कदम का पेड़,आम, पीपल, अमरुद से लेकर नीम और दूसरे पेड़ हर तरफ देखे जा सकते है. गर्मी की तपती दोपहर और आग उगलता आसमान के बावजूद दोपहर में भी गांव के किसी भी चौराहे पर पेड़ के नीचे लोग बैठे मिल जायेंगे.
विशम्भरपुर गांव के 55 वर्षीय किसान त्रिलोकी नाथ सिंह बताते है कि इस गांव के सभी लोगों ने बैठकर एक पंचायत बैठाई. इस पंचायत में गांव को पर्यावरण के हिसाब से सुरक्षित रखा जाए. पंचायत में प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा एक एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया.
इस गांव के 45 वर्षीय किसान नरेन्द्र कुमार सिंह बताते है कि इस गांव में पहले से पेड़ लगे हुए थे. लेकिन उनके पंचायत के पूर्व मुखिया ओमप्रकाश राय के नेतृत्व में पंचायत बुलाकर पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया गया. इसी संकल्प के तहत हर घर के सामने, गली मोहल्ले और सड़कों पर पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की गयी. यह मुहिम पिछले पांच साल से अपने परवान पर है. यहां हर तरफ हरियाली का नजारा है.
धतिगना पंचायत के पूर्व मुखिया ओमप्रकाश राय के मुताबिक अपने गांव और पंचायत को स्वस्थ पंचायत , स्वच्छ पंचायत बनाने का संकल्प लिया गया था. इसी संकल्प के तहत इस पंचायत को जिले में सबसे पहले ओडीएफ घोषित किया गया. उन्हें गर्व है कि उनके पंचायत में आज 20 हजार से ज्यादा पौधे और पेड़ लगाये गए है. ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके.आज इस गांव को ग्रीन विलेज के नाम से जाना जाता है. ग्रामीणों का मुहिम अपने गांव की तरह पूरे पंचायत के हर गांव को ग्रीन विलेज के रूप में विकसित करने का है.
सरकार भले ही योजना बनाकर लोगों से उसे पूरा करने की अपील करती है. लेकिन हमारी धरती और पर्यावरण की रक्षा तभी हो सकती है. जब दूसरे लोग भी कुछ इस गांव के लोगों की तरह संकल्प ले.