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गोपालगंज: कोरोना काल में टूट गई अंडा उत्पादन यूनिटों की कमर

बिहार में अंडा उत्पादन में अपनी पहचान बनाने वाले गोपालगंज जिले में अब अंडा का धंधा गहरे संकट में फंस गया है। कोरोना काल में अंडा उत्पाद यूनिटों की कमर टूट गई है। कोरोना का कहर शुरू होने से पहले बिहार के दूसरे जिलों के साथ ही आसाम से नागालैंड तक जिले से अंडा की सप्लाई की जाती थी। अब कोरोना की ऐसी मार पड़ी है कि जिले में तीस प्रतिशत अंडा उत्पादन यूनिटें बंद हो गई हैं। लोगों की सेहत सुधारने के लिए अंडा देने वाली मुर्गियों को दाना से लेकर वैक्सीन नहीं मिल पा रहा है। जो यूनिटें अभी चल रही हैं, उनका भी उत्पादन 50 प्रतिशत तक गिर गया है। अंडे के धंधे से जुड़े दस हजार लोगों के रोजगार पर भी संकट आ गया है। लोन लेकर अंडा उत्पादन यूनिटें संचालित करने वाले युवा कारोबारी कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे हैं।
 
सरकार ने बिहार को अंडा उत्पादन मे आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजना शुरू किया था। सरकार की यह योजना जिले में काफी सफल रही। खास कर युवाओं ने इस योजना को हाथों हाथ लिया। पिछले तीन-चार साल के अंदर ही जिले में छह सौ अंडा उत्पादन यूनिटें खुल गईं। गोपालगंज जिला अंडा उत्पादन में बिहार का हब बन गया। प्रतिदिन तीन लाख से अधिक अंडा का उत्पादन होने लगा। पहले पंजाब व हरियाणा के अंडा पर निर्भर जिला न सिर्फ अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया। बल्कि यहां से बेतिया, बगहा, पश्चिम बंगाल, आसाम, नागालैंड तथा सिक्किम तक अंडा का सप्लाई की जाने लगी। लेकिन इसी बीच कोरोना का संकट खड़ा हो गया। लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रांतों में अंडा की सप्लाई ठप हो गई। अंडा की दुकानें बंद हो जाने से जिले में भी इसकी खपत बंद हो गई। छह सौ अंडा उत्पादन यूनिटों से तीस प्रतिशत यूनिटें बंद हो गई हैं। अंडा का उत्पादन भी 50 प्रतिशत तक गिर गया है। जो अंडा यूनिटें अभी संचालित हैं, वे भी बंदी के कगार तक पहुंच गई हैं।
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क्या आ रहीं हैं दिक्कतें
– ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित होने से बाहर नहीं हो पा रही अंडा की सप्लाई।
– पूना व चेन्नई से मुर्गियों के लिए वैक्सीन की सप्लाई ठप। कोल्ड चेन मेंटेन करने के लिए फ्लाईट से होती थी सप्लाई।
– एमीनोएसिड, अलआइमीन, बैलिन की दूसरे देशों से सप्लाई ठप। मुर्गियों का प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के आता है काम। अंडा यूनिटें को संभालने के लिए क्या चाहते हैं संचालक
– ट्रांसपोर्ट को खोला जाए। दाना आदि लेकर आने वाले ट्रक चालकों को तंग नहीं किया जाए।
– आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडा की सप्लाई अनिवार्य किया जाए।
– चार महीने तक लोन पर ब्याज माफ किया जाए।
– नबार्ड के माध्यम से अंडा उत्पादों को हुई क्षति की पूर्ति की जाए।
– कम से कम अंडा की थोक दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाए।
– प्रशासन को किराना की तरह अंडा की भी होम डिलेवरी की व्यवस्था करनी चाहिए। क्या कहते हैं अंडा उत्पादन यूनिट के संचालक
अंडा उत्पादन यूनिटें गहरे संकट में हैं। खास कर युवाओं ने लोन लेकर अंडा उत्पादन यूनिट खोला है। एक यूनिट खोलने मे 25 से तीस लाख रुपया लागत आती है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि अगर सरकार पहल करेगी तभी अंडा उत्पादन यूनिटें बच पाएंगी।
दिलीप सिंह, अंडा उत्पादन यूनिट संचालक सह हरिओम फीड्स के निदेशक