मजदूरों की मदद करने वाले युवक परवेज आलम के मुताबिक, जब उन्हें सूचना मिली कि मिठाई कारखाने में काम करने वाले चार लोग अपने घर जाना चाहते है लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं है तो उन्होंने अपने घर में इन युवकों को रहने की जगह दी और उन्हें खाने से लेकर दवाई तक हर चीज उपलब्ध करा रहे हैं.
पूरे देश में कोरोना (Corona Virus) को लेकर लॉकडाउन (Lockdown) है. इस घड़ी में कुछ लोग जहां धर्म और मजहब को लेकर एक दूसरे के ऊपर हमले कर रहे है. जबकि कुछ लोग ऐसे भी है जो धर्म और मजहब से ऊपर उठ कर मानवता (Humanity) की सेवा करने में लगे हुए है. गोपालगंज के परवेज आलम ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने लखनऊ के चार ऐसे मजदूरों को अपने घर में पनाह दी है, जो दूसरे धर्म से हैं.
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रहने से लेकर खाने तक की व्यवस्था
परवेज आलम ने लखनऊ और समस्तीपुर के फंसे चार युवकों की लॉकडाउन के दौरान सिर्फ मदद ही नहीं की, बल्कि उन्हें अपने घर में शरण देकर लॉकडाउन के पहले दिन से खाना भी खिला रहे हैं. हरसंभव उनकी मदद कर रहे हैं. गोपालगंज के जंगलिया मोहल्ले के रहने वाले 28 वर्षीय परवेज ने वह कर दिखाया जो धर्म के नाम पर लड़ने वालों के लिए किसी सबक से कम नहीं. दरअसल लखनऊ के रहने वाले धर्मेन्द्र अपने अन्य साथियों के साथ गोपालगंज में रहकर मिठाई निर्माण का कार्य करते थे. यहां धर्मेन्द्र के साथ उनके दोस्त पंकज, पवन, सुनील कोलकाता मिठाई दुकान में मिठाई का निर्माण करते थे.
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लॉकडाउन से छिन गया था रोजगार
कोरोना महामारी को लेकर देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. इस घोषणा के बाद धर्मेन्द्र भी अपने साथियों के साथ अपने घर लखनऊ लौटना चाहते थे. उनकी दुकान बंद हो गई थी और उनका वेतन भी बंद हो गया था. उनके पास रहने और खाने की लिए पैसे का भी अभाव था. इसकी जानकारी जब परवेज आलम को मिली, तो उन्होंने उन मजदूरों को न सिर्फ अपने घर में पनाह दी, बल्कि उन्हें खाने के लिए सामग्री और दवाओं की भी आपूर्ति की.
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मिठाई बनाने का करते थे काम
कोरोना लॉकडाउन में फंसे इन युवकों को अब घर जाने की कोई जरूरत नहीं है. लखनऊ के युवक धर्मेन्द्र कुमार के मुताबिक, वह मिठाई बनाने का काम करते थे. काम बंद होने के बाद वह घर जाना चाह रहे थे, लेकिन कोई जुगाड़ नहीं था. उनके सामने रहने की समस्या भी थी लेकिन जंगलिया के परवेज आलम ने इन्हें अपने घर में ठहराया और खाने की सामग्री भी उपलब्ध करा रहे हैं.
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सूचना मिलते ही परवेज ने खोल दिए घर के दरवाजे
मजदूरों की मदद करने वाले युवक परवेज आलम के मुताबिक, जब उन्हें सूचना मिली कि मिठाई कारखाने में काम करने वाले चार लोग अपने घर जाना चाहते है लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं है तो उन्होंने अपने घर में इन युवकों को रहने की जगह दी और उन्हें खाने से लेकर दवाई तक हर चीज उपलब्ध करा रहे हैं. कोरोना काल में भी कुछ लोग जब धर्म के नाम पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं ऐसे में गोपालगंज के परवेज आलम ने धर्म और मजहब की दीवार तोड़कर इंसानियत की मिसाल पेश की है.