दहेज हत्या के एक मामले में अनुसंधानकर्ता की लापरवाही का लाभ आरोपित को मिल गया। निर्धारित अवधि के अंदर आरोप पत्र समर्पित नहीं करने पर दहेज हत्या के मामले में जेल में बंद मृतका के पति को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी चंद्रमणि कुमार के न्यायालय ने जमानत दे दी। न्यायालय ने आरोप पत्र समय से नहीं को गंभीर मामला बताते हुए न्यायालय ने एसपी को संबंधित अनुसंधानकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया।[the_ad id=”10743″]
जानकारी के अनुसार भोरे थाना क्षेत्र के अमही मिश्र गांव के शैलेंद्रनाथ तिवारी की बहन सरिता देवी की दहेज में तीन लाख रुपये नकदी की मांग पूरी नहीं होने पर ससुराल के लोगों ने गुजरात में हत्या कर दी थी। इस मामले में शैलेंद्रनाथ तिवारी ने यूपी के देवरिया जिले के खामपार थाने के छरौंधा गांव के निवासी तथा अपने बहनोई अरविदनाथ तिवारी, अपनी बहन के ससुर सुभाष तिवारी, सास प्रेमा तिवारी और देवर बाल्मीकि तिवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने आरोपित अरविदनाथ तिवारी को तीन माह पूर्व गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। निर्धारित 90 दिन की अवधि पूरी होने के बाद भी अनुसंधानकर्ता ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया। इस मामले की सुनवाई करते हुए सीजेएम के न्यायालय ने दप्रसं की धारा 167 का लाभ देते हुए आरोप पत्र के अभाव में आरोपित को जमानत देने का आदेश दे दिया। साथ ही इस लापरवाही के लिए अनुसंधाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी एसपी को दिया।