सरेयां नरेंद्र में सोमवार को मार्बल लदे ट्रेलर पलटने से हुई छह बच्चियों की मौत का मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है. विभाग ने तो सभी मृत बच्चियों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लिया, लेकिन दुर्घटना के पीछे की कहानी की ओर किसी का भी ध्यान नहीं गया.
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रातों रात सड़क पर निर्माण संबंधी बोर्ड पर लिखावट बदलना जहां ग्रामीणों में संदेह पैदा कर रहा है. वहीं विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा कर रहा है. बुधवार की शाम तक इस बोर्ड पर न तो कार्य आरंभ करने की तिथि अंकित थी और न कार्य समाप्ति की.
यहां तक की संवेदक का नाम भी अंकित नहीं था. सवाल उठता है कि आखिर किस परिस्थिति में रातोंरात इस बोर्ड पर निर्माण कंपनी द्वारा कार्यारंभ तथा कार्य समाप्ति तिथि के साथ संवेदक का नाम भी अंकित कर दिया गया. इतना ही नहीं, सड़क पर बने होल को भी निर्माण एजेंसी द्वारा भरवा दिया गया है. विभाग का यह कारनामा किसी बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है.
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विभाग को आखिर इतनी हड़बड़ी में रातों रात दिनांक और संवेदक का नाम लिखने की क्या जरूरत पड़ गयी. आखिर बोर्ड पर हेराफेरी कर विभाग क्या साबित करना चाहता है. जानकारों की मानें तो इस पथ पर छोटा ट्रक भी ले जाना पथ परिवहन विभाग के नियमों के विरुद्ध है, तो फिर 42 टन मार्बल लेकर 22 चक्कों वाला ट्रेलर किसके आदेश पर गया.
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अगर ट्रेलर इस पथ पर नहीं जाता, तो नहीं पलटता और छह बच्चियों की जान भी नहीं जाती. लोगों में चर्चा है कि बोर्ड पर हेराफेरी करना साबित करता है कि कहीं-न-कहीं व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. विभाग को चाहिए कि सरेयां नरेंद्र मामले की गहनता से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे, ताकि मृत बच्चियों के परिजनों को न्याय मिले.
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