• ‘पोषण’ अभियान के लक्ष्यों की प्राप्ति पर होगा ज़ोर
•अनीमिया एवं डायरिया प्रबंधन के साथ •सामुदायिक गतिविधियों का होगा आयोजन
•पोषण माह में विशेष कैंप आयोजित कर कुपोषण पर होगा वार
सुपोषण को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है। कुपोषण से लड़ने के लिए आईसीडीएस के साथ अब स्वास्थ्य विभाग ने भी तैयारी पूरी कर ली है। इसको लेकर कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति मनोज कुमार ने सभी जिलों के जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी है। पत्र के माध्यम से बताया गया कि भारत सरकार वर्ष 2022 तक देश में कुपोषण की दर में सुधार के लिए संकल्पित है। इसको लेकर भारत सरकार द्वारा पोषण( प्राइम मिनिस्टर ओवररिचिंग स्कीम फॉर होलिस्टिक नरिशमेंट) का प्रारम्भ किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 0 से 6 वर्ष वर्ष आयु तक के सभी बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के पोषण स्तर में सुधार लाना है।
अनीमिया प्रबंधन पर होगा ज़ोर:
पत्र के माध्यम से बताया गया कि पोषण माह के दौरान स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्कूल एवं कॉलेज तथा समुदाय स्तर पर आरोग्य दिवस, स्वास्थ्य संस्थान, आँगनबाड़ी केंद्र, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, स्थानीय मेला एवं हाट जैसे महत्वपूर्ण जगहों पर टी-3( टेस्ट, ट्रीट एवं टॉक) कैंप का आयोजन किया जाएगा। इसके माध्यम से किशोरियों, प्रजनन उम्र की महिला एवं गर्भवती महिलाओं की भी अनीमिया की जाँच की जाएगी। जाँच के बाद एनीमिक लाभार्थियों को जरूरत के अनुसार आयरन फॉलिक एसिड की गोली एवं सिरप उपलब्ध करायी जाएगी। कैंप के माध्यम से संबंधित हीमोग्लोबिन जाँच, परामर्श तथा रेफ़रल की भी सुविधा प्रदान की जाएगी।
कैंप लगाकर डायरिया प्रबंधन पर विशेष ध्यान :
डायरिया बाल कुपोषण को बढ़ावा देता है। साथ ही शिशु मृत्यु दर में डायरिया का भी अहम योगदान माना जाता है। इसको ध्यान में रखते हुये पोषण माह के दौरान जिले के स्वास्थ्य संस्थानों, आँगनबाड़ी केन्द्रों के साथ बाजार, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर कैंप का आयोजन किया जाएगा। इसके माध्यम से सघन दस्त पखवाड़ा के दौरान छूटे हुए सभी घरों का दौरा किया जाएगा। प्रत्येक ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस सत्रों पर जिंक तथा ओआरएस की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करायी जाएगी। आशा द्वारा छह से आठ घरों के सदस्यों के संग बैठकर ओआरएस घोल बनाने की विधि का प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही साफ-सफाई एवं हाथ धोने के तरीके पर जानकारी प्रदान की जाएगी।
वीएचएसएनडी होगा और मजबूत:
ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस(वीएचएसएनडी) पर निर्धारित नियमित टीकाकरण की शत-प्रतिशत उपलब्धि पर बल दिया जाएगा। सुदूर क्षेत्र की आबादी में चिन्हित बच्चों का शत-प्रतिशत टीकाकारण सुनश्चित करने का प्रयास किया जाएगा। पोषण माह के दौरान आयोजित होने वाले सभी वीएचएसएनडी सत्र में निर्धारित छह सेवाएं लाभार्थियों को प्रदान कराने पर ज़ोर दिया जाएगा। साथ ही पूर्व से वीएचएसएनडी सत्र के लिए चयनित दिन के अतिरिक्त भी इस सत्र का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पोषण सहित स्वास्थ्य मुद्दों पर समूह परामर्श पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बच्चों में शुरुआती स्तनपान को बढ़ावा :
स्वास्थ्य संस्थानों एवं घरों पर जन्म लेने वाले सभी शिशुओं को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान सुनिश्चित कराने का अधिकतम प्रयास किया जाएगा। इसको लेकर स्वास्थ्य संस्थानों में जन्म लेने वाले शिशुओं को ममता एवं सलाहकार द्वारा प्रसव कक्ष में माँ को स्तनपान से संबंधित जानकारी प्रदान की जाएगी।
गृह आधारित नवजात देखभाल :
आशाओं द्वारा गृह भ्रमण कर नवजात की देखभाल करने के लिए गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिसमें आशाएँ संस्थागत प्रसव होने पर 42 दिनों तक 6 बार गृह-भ्रमण कर नवजात की देखभाल करती हैं। पोषण माह के दौरान शत-प्रतिशत गृह भ्रमण को बढ़ावा दिया जाएगा।
किशोर स्वास्थ्य दिवस का आयोजन :
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी जिलों में पोषण माह के दौरान किशोर स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें किशोर एवं किशोरियों को बेहतर पोषण पर जानकारी दी जाएगी। पीयर एजुकेटर प्रखण्ड स्तर पर किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।