गंडक नदी के प्रलयकारी बाढ़ की चपेट में आए बैकुंठपुर प्रखंड के बाढ़ पीड़ितों को दोहरी चुनौती से जुझना पड़ा रहा है। बाढ़ के पानी में गांव डूब जाने के कारण तटबंध और अपने घरों की छतों पर शरण ले रहे बाढ़ पीड़ितों पर बारिश आफत बनकर बरस रही है। हर तरफ फैले बाढ़ के पानी के बीच अपने मवेशियों के साथ शरण ले रहे ग्रामीणों के सामने अपने मवेशियों को खिलाने के लिए चारे का भी संकट खड़ा हो गया है।
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बैकुंठपुर प्रखंड की 22 पंचायतों से से 20 पंचायत के सभी गांव पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। नए इलाके में भी पानी तेजी से फैल रहा है। बाढ़ के पानी के बीच छतों पर आश्रय लेने वाले लोग अब पानी के बीच से ऊंचे स्थानों की तलाश में नाव आदि का सहारा लेकर गांव से निकल रहे हैं। पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है वाल्मिकी नगर बराज से पानी डिस्चार्ज करने का सिलसिला लगातार जारी है। कई जगह तटबंध पर अभी भी दबाव बना हुआ है। जिसकी निगरानी में ग्रामीण स्वयं अपना सबकुछ त्याग कर लगे हुए हैं। इस प्रलयंकारी बाढ़ के पानी में डूबने से चार लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं।
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बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लोग तटबंधों व सड़कों पर खुले आसमान के नीचे तो कुछ प्लास्टिक तानकर अपना गुजर कर रहे हैं। इस परिस्थिति में बारिश उनके जीवन पर आफत बनकर बरस रही है। बारिश होने पर बाढ़ पीड़ितों को बज्रपात का भी डर सता रहा है। प्रशासन बाढ़ पीड़ितों की हर सम्भव मदद करने का दावा कर रहा है। लेकिन बाढ़ ग्रस्त इलाके के बहुत सारे लोग दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं। सबसे अधिक परेशानियां उनलोगों को है, जिनके पास दो चार मवेशी हैं। बाढ़ पीड़ितों ने तो मवेशियों को तो पानी के बीच से निकाल लिया है। लेकिन मवेशियों के चारे की व्यवस्था करना इलके सामने एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी है।