बैकुंठपुर प्रखंड क्षेत्र में 24 घंटे के अंदर आधा दर्जन जगहों पर तटबंध के टूट जाने से पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई है। जगह- जगह बांध टूटने से गंडक नदी का पानी तेजी से नए इलाकों को अपने आगोश में लेते जा रहा है। नए इलाके के गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से ग्रामीण गांव छोड़कर भाग रहे हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीण अपने परिवार के मवेशियों के साथ ऊंचे स्थान पर शरण ले रहे हैं। इसी बीच बाढ़ का पानी नए इलाके में तेजी से फैलते देख प्रशासन ने रेसक्यू अभियान तेज कर दिया है। एनडीआरएफ की टीम बाढ़ प्रभावित गांवों में जाकर बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकाल रही है।
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मांझा के पुरैना में सारण तटबंध टूटने के बाद बाढ़ का पानी अपने रास्ते में आने वाले एक-एक गांवों को डूबाते हुए बैकुंठपुर में प्रवेश कर गिया। इसी बीच शुक्रवार को पकहां गांव के समीप रिग बांध टूट गया। जिससे पकहा सहित आसपास के गांव में बाढ़ का पानी भर गया। शुक्रवार की रात कृतपुरा व चिउटाहां गांव के समीप जमींदारी बांध टूट गया। जिसे पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। कृतपुरा गांव के समीप बांध टूट जाने के बाद गांव के करीब आधा दर्जन घरों को बाढ़ का पानी बहा ले गया। आधी रात को बांध टूटने पर लोग गांव से बाहर अपनी जान बचाने के लिए घर बार छोड़ भागने लगे। लोगों ने गांव से बाहर निकल कर सारण तटबंध व ऊंचे स्थानों पर शरण लिया है। बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा था कि शनिवार की दोपहर सोनवलिया गांव स्थित वार्ड नंबर के सामने सारण मुख्य तटबंध टूट गया।
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तटबंध के टूटते ही लोग अपने घरों का सामान समेटने के साथ ही मवेशियों व परिवार के सदस्यों को लेकर ऊंचे स्थानों की तरफ भागने लगे। तटबंधों के टूटने का सिलसिला लगातार जारी रहा। सोनवलिया में सारण तटबंध टूटने के कुछ घंटे बाद ही मड़वा के समीप भी सारण मुख्य तटबंध टूट गया है। मुख्य तटबंध टूटने से देखते ही देखते मड़वा तथा आसपास के गांव बाढ़ के पानी में डूब गए। बाढ़ का पानी तेजी से छपरा जिले के मशरख, पानापुर, तरैया की तरफ बढ़ रहा है। तटबंध व बांध जगह-जगह टूटने से बैकुंठपुर प्रखंड के कृतपुरा, बंगरा, बलहा, सोनवलिया, एकडेरवा, दिघवा, बहरामपुर, बनौला बंधौरा, पहाड़पुर सहित 45 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इस बीच प्रशासनिक स्तर पर बचाव कार्य तेज कर दिया गया है। बाढ़ के पानी के बीच फंसे लोगों को एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू कर निकाल रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी तटबंधों के सुरक्षा के लिए लगातार प्रयासरत हैं। ग्रामीणों के साथ बोरे में मिट्टी भरकर क्षतिग्रस्त तटबंधों को भरने का कार्य किया जा रहा है।