जिले के मांझा प्रखंड के पुरौना व बरौली प्रखंड के देवापुर के समीप रिग बांध टूटने के बाद सारण तटबंध भी गंडक के इस पानी को बहुत देर तक नहीं रोक सका। सारण बांध टूटने के बाद मांझा व बरौली प्रखंड के दर्जनों गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए। गंडक नदी का रौंद रूप देखकर हर कोई अपना सामान, मवेशी व बच्चों को लेकर ऊंचे स्थान पर शरण लेने के लिए भागने लगा। बाढ़ की पानी में घर व बथान घिर जाने के बाद अपने अपने बच्चों को लेकर भाग रहे लोगों ने कहा कि पिछले दो दशक में गंडक नदी का ऐसा रूप नहीं दिखा। पानी के तेज बहाव के आगे हर कोई अपने आपको लाचार सा महसूस कर रहा है।
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मांझा प्रखंड के पुरैना बीन टोली निवासी नथुनी महतो (80) वर्ष ने कहा कि गंडक नदी ने इससे पहले वर्ष 1999, 2002 में ऐसी तबाही मचाई थी। ऐसे में करीब दो दशक के बाद गंडक नदी का यह रूप देखने को मिल रहा है। नथुनी महतो ने कहा कि गंडक नदी के तेज बहाव के आगे हर कोई अपना सामान लेकर ऊंचे स्थान पर जा रहा है। लोगों को बाहर निकलने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा नाव तक की व्यवस्था नहीं कराई गई है। वहीं बरौली प्रखंड के देवापुर पश्चिम टोला निवासी विजय सिंह (58) वर्ष ने कहा कि गंडक नदी का रौंद रूप देखकर महिलाएं भी सहम गई हैं। गंडक नदी के तेज बहाव को देखते हुए गांव के लोग अपने अपने सामान को घर की छत पर रख रहे है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में ऐसी तबाही देखने को मिली थी। उसके बाद इस मानसून में ऐसी तबाही देखने को मिल रही है।
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प्रशासन के दावे में नहीं दिखा दम, हर तरफ मचा कोहराम:
गंडक नदी का जलस्तर पिछले पांच दिन से से बढ़ रहा था। लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी बांध को सुरक्षित बताने में जुटे रहे। गुरुवार की रात रिग बांध में रिसाव शुरू होने के बाद जिले के वरीय अधिकारियों की टीम गांव में पहुंच कर लोगों से ऊंचे स्थान पर जाने की अपील किया। इससे लोगों में गुस्सा भी देखने को मिला। बरौली प्रखंड के देवापुर पूर्वी टोला गांव के रामायण प्रसाद, मनोहर प्रसाद व राजेश्वर सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन के सभी दावे खोखले हैं। जिला प्रशासन ने पहले बांध बचाने का विश्वास दिलाया था। फिर बांध टूटा तो सबको सुरक्षित निकालने का भरोसा दिया गया। लेकिन जब बाढ़ का सामने आया तो प्रशासन का दावा फेल दिख रहा है। एनडीआरफ की टीम बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकाल रही है। लेकिन एनडीआरफ की टीम एक समय में दस से बीस लोगों को ही निकाल पा रही है। जिला प्रशासन की तरफ से अब तक नाव की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जैसे तैसे लोग अपने परिवार के साथ पानी के बीच से होकर गांव से बाहर निकल रहे हैं।
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हाईवे बनी बाढ़ पीड़ितों के लिए शरणस्थली, लोगों ने लगाए तंबू:
गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद मांझा प्रखंड के पुरैना देवापुर व बैकुंठपुर प्रखंड के पकहा के समीप तटबंध टूटने के बाद पांच दर्जन से अधिक गांव के लोग जैसे तैसे अपना सामान व अपने परिवार के सदस्यों को लेकर बाहर निकल रहे है। बाढ़ के पानी से बाहर निकले लोगों के लिए एनएच 28 एक मात्र सहारा बना है। एनएच 28 पर लोगों ने अपना तंबू लगा लिया है। मवेशियों को भी एनएच 28 पर बांध कर उसे खिला रहे है। कुछ लोग के लोग वाहन पर मवेशी को लादकर अपने रिश्तेदारों के यहां भेज रहे है। ताकि मवेशी सुरक्षित रह सकें।
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पांच घंटे तक ठप रहा हाईवे पर वाहनों का परिचालन:
गंडक नदी के दबाव के कारण देवापुर पुरैना में तटबंध टूटने के बाद इन इलाके लोग एनएच 28 पर शरण लेने पहुंचने लगे। एनएच 28 पर लोगों के शरण लेने से एनएच 28 पर वाहनों का परिचालन शुक्रवार की सुबह छह बजे से ठप कर दिया। इसकी सूचना मिलने के बाद सदर एसडीओ उपेंद्र पाल व एसडीपीओ नरेश पासवान देवापुर गांव पहुंच कर बरौली व मांझा थाना की पुलिस की मदद से एनएच पर लगे महाजाम को खत्म कराया। एसडीपीओ नरेश पासवान ने बताया कि बाढ़ का पानी गांव में फैलने के बाद कुछ लोग अपने मवेशी को एनएच 28 पर बांध दिए है। जिससे एनएच 28 पर पांच घंटे तक वाहनों का आवागमन बाधित हो गया था। जिसे फिर से चालू करा दिया गया है।
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सब तबाह हो गइल, बरखा अलगे परेशान कइले बा व बाढ़ अलगे:
गंडक नदी के रौंद रूप के कारण तटबंध टूटने के बाद पथरा गांव के समीप एनएच 28 पर शरण लिए लोगों ने कहा कि बाढ़ अलगे परेशान कईले बा उपर से इ बरखा के पानी से अलगे परेशानी बा। सब कुछ तबाह हो गइल, का कइल जाव ,कुछो समझ में नईखे आवत। वही पुरैना गांव निवासी रामप्रवेश पासवान ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा कहीं कोई व्यवस्था नहीं किया गया है। गंडक की इस तबाही के आगे हर कोई लाचार दिख रहा है। उन्होंने बताया कि अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है। सभी लोग अपना अपना सामान लेकर पैदल की गांव से बाहर निकल रहे हैं।