वैसे वाल्मिकीनगर बराज से पानी का डिस्चार्ज कम होने के कारण बाढ़ प्रभावित गांवों में पानी का बढ़ना थम गया है। बावजूद इसके बाढ़ से प्रभावित गांवों के लोगों की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही है। अब भी गांवों में दो से तीन फीट तक पानी भरा होने के कारण बाढ़ से प्रभावित करीब 261 गांवों के लोगों की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही है। सैकड़ों परिवारों के लोग बाढ़ में झोपड़ी ध्वस्त होने के कारण ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को विवश हैं। अलावा इसके करीब एक लाख लोग अब भी गांवों में अपने पक्के मकान की छत पर शरण लिए हुए हैं।
गंडक नदी के जलस्तर में उछाल के बाद चौबीस घंटे के अंदर 15 स्थानों पर तटबंध टूटने के बाद जिले के पांच प्रखंडों में बाढ़ की स्थिति अचानक भयावह हो गई। गंडक की कहर के कारण 14 पंचायत पूर्ण रूप से बाढ़ की चपेट में आ गए। जबकि 44 पंचायतों के कुछ गांवों में बाढ़ का असर पड़ा। इस बाढ़ की त्रासदी ने सदर प्रखंड के अलावा मांझा, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर प्रखंड में भारी तबाही मचाई। करीब आठ दिन से बाढ़ का कहर झेल रहे 261 गांवों की करीब ढाई लाख की आबादी अब भी मुसीबत में घिरी नजर आ रही है। जलस्तर में बढ़ोत्तरी थमने के बाद भी गांवों में भरा पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में बाढ़ प्रभावित परिवार के लोगों की जिदगी अब भी मुश्किलों में घिरी दिख रही है। कई परिवारों के लोग अब भी दाने-दाने को तरस रहे हैं। सैकड़ों परिवार के लोग इस कहर के बाद तिरपाल के नीचे रहने को विवश हैं।
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बैकुंठपुर व बरौली के लोगों को नहीं मिला सरकारी आश्रय स्थल:
इस साल बाढ़ के कहर में प्रशासनिक स्तर पर की गई तमाम तैयारियों की पोल खुल गई। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ आने की स्थिति में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों तक में पानी भर जाने के कारण बरौली व बैकुंठपुर प्रखंड के लोगों को कोई भी सरकारी ठिकाना नहीं मिल सका। इन प्रखंडों के लोग ऊंचे स्थानों पर अब भी शरण लेने को विवश हैं। उधर बैकुंठपुर प्रखंड में अब भी करीब 50 हजार की आबादी बाढ़ के बीच अपने मकान की छत पर ही शरण लेने को विवश है। इन प्रखंडों में लोगों को सरकारी सुविधा के नाम पर अबतक मात्र पका हुआ भोजन कम्यूनिटी किचेन के माध्यम से मिल रहा है। लेकिन यह सुविधा भी हरेक व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रही है।
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दर्जनों गांवों तक नहीं पहुंच पा रही नाव की सुविधा:
बाढ़ के कहर के बीच अब भी बरौली व बैकुंठपुर प्रखंड के कई गांवों तक नाव की सुविधा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में अपने पक्के मकान की छत पर शरण लेने वाले लोगों को बीमारी होने की स्थिति में बाहर निकलने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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अब भी 190 गांवों का सड़क संपर्क भंग:
जिले में बाढ़ के कहर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आठ दिन के बाद भी बाढ़ से प्रभावित 190 गांवों का सड़क संपर्क प्रखंड व जिला मुख्यालय से टूटा हुआ है। ऐसे में इन गांवों के लोगों की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही है। लोगों को इस बात का इंतजार है कि गांवों से पानी कब कम हो और वे अपने घरों की ओर लौट सकें।
बाढ़ से प्रभावित इलाकों की फसल पूर्ण रूप से बर्बाद:
बाढ़ से प्रभावित हुए गांवों की सफल पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई है। बावजूद इसके प्रशासन के पास इस बात का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि बाढ़ के कारण कितनी फसल को नुकसान हुआ है। आठ दिन के बाद भी प्रशासन बाढ़ के कारण सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का भी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा सका है।
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