क्या बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को फंसाने के लिए जेडीयू में हद से ज्यादा बेचैनी फैली है? गोपालगंज में तेजस्वी यादव ने गरीब महिलाओं को पैसे दिये थे. इसके बाद आनन फानन में जेडीयू ने तेजस्वी के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंप दिया था. लेकिन गोपालगंज जिला प्रशासन की सफाई के बाद जेडीयू की बेचैनी की पोल खुल गयी है.
गौरतलब है कि गुरूवार को तेजस्वी प्रसाद यादव गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर में एक कार्यक्रम में शामिल होने गये थे. उसी दौरान का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तेजस्वी यादव गरीब महिलाओं को 500-500 का नोट देते दिख रहे थे. तेजस्वी महिलाओं को ये भी बता रहे थे कि वे लालू यादव के बेटे हैं. इस वीडियो के वायरल होते ही जेडीयू राज्य निर्वाचन आय़ोग में शिकायत करने पहुंच गया था. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इसे राज्य में हो रहे पंचायत चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन करार देते हुए तेजस्वी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी.
डीएम के बयान से खुली जेडीयू की पोल
शनिवार की शाम गोपालगंज के जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी ने इस मामले पर मीडिया को जानकारी दी. डीएम ने कहा कि गोपालगंज के बैकुंठपुर प्रखंड में अभी तक पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना ही जारी नहीं हुई है. वहां अभी चुनाव नहीं हो रहा है. लिहाजा कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं है. इसलिए तेजस्वी यादव ने किसी उम्मीदवार के पक्ष में महिलाओं को रुपये नहीं दिए थे. डीएम ने कहा कि उनकी नजर में ये आचार संहिता के उल्लंघन का मामला नहीं बनता है. लिहाजा उन्होंने न कोई जांच का आदेश दिया है और ना ही राज्य निर्वाचन आयोग से जांच का कोई आदेश अब तक प्राप्त हुआ है.
जाहिर है गोपालगंज के डीएम का बयान जेडीयू की बेचैनी को उजागर करने के लिए काफी है. बिहार में पंचायत चुनाव कई चरण में हो रहे हैं. पंचायत चुनाव दलीय आधार पर हो भी नहीं रहे हैं. आचार संहिता उल्लंघन का मामला तब बनता है जब कोई व्यक्ति किसी प्रत्याशी के पक्ष में गलत काम करे. लेकिन हडबड़ी में जेडीयू ने तेजस्वी पर पंचायत चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगा दिया.
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