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गोपालगंज में NIA की कार्रवाई पर सवाल:परिजन बोले- चुनावी रंजिश में फंसाया, पिता की कमाई से बन रहे घर को टेरर फंडिंग बता रहे

नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) ने गोपालगंज के मांझा से जफर अब्बास नाम के युवक को टेरर फंडिंग और साइबर क्राइम के आरोपों में अरेस्ट किया है। बुधवार को हुई इस कार्रवाई के बाद गोपालगंज जिला आतंकी गतिविधियों को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जफर को NIA की टीम ने पथरा गांव के उसके पैतृक आवास से अरेस्ट किया है। टीम ने उसके घर से 2 लैपटॉप, 6 मोबाइल, 6 सिमकार्ड, बैंक पासबुक और पासपोर्ट समेत कई दस्तावेज बरामद किए हैं।

एसपी आनंद कुमार ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है। लेकिन कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है। हालांकि जफर के परिजन उसे किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि में संलिप्त नहीं मान रहे हैं। कह रहे हैं कि उसे पंचायत चुनाव की साजिश में फंसाया गया है। जिस घर को टेरर फंडिंग के रुपए से बना बता रहे हैं, उसे जफर के मरहूम पिता ने दुबई में कमाए गए रुपए से बनवाया है।

बीटेक फाइनल ईयर का स्टूडेंट है जफर, लॉकडाउन के बाद से घर पर था
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार जफर अब्बास का कनेक्शन पाकिस्तान से जुड़ा था। सुरक्षा एजेंसियों की इनपुट पर NIA और स्थानीय पुलिस जफर पर कई दिनों से नजर रख रही थी। जैसे ही पुख्ता सबूत मिला, NIA गोपालगंज पहुंच गई। इसके पहले NIA ने केस संख्या RC 30/2021/NIA/DLI दर्ज कर तफ्तीश शुरू की थी। फिलहाल जफर की गोपालगंज कोर्ट में पेशी के बाद ट्रांजिट रिमांड पर लेकर दिल्ली जाने की तैयारी है।

इधर जफर के परिवार वालों का कहना है कि वह भोपाल के IES कॉलेज में बीटेक फाइनल ईयर का स्टूडेंट है। कोरोना काल में अपने घर आया था और यहीं से ऑनलाइन पढ़ाई करता था। फरवरी 2022 में फाइनल ईयर का एग्जाम होना था। जफर दो भाइयों में बड़ा है। छोटे भाई ने इसी माह मैट्रिक की परीक्षा दी है। बीते ईद में ही उसके पिता मो हसमुल्लाह अब्बास का इंतकाल हो चुका है।

जफर की रिश्ते में बहन सलीमा ने कहा कि वह आतंकी नहीं हो सकता। देशद्रोही का इलजाम लगा है। मगर वह ऐसा नहीं था। बाहर रहकर पढ़ाई करता था। उसे पंचायत चुनाव के तहत साजिश में फंसाया गया है। वह पंचायत चुनाव में बहुत एक्टिव था। इसी में उसे फंसाया गया है।

चाचा मो मुस्तफा ने कहा कि जफर के पिता साल 1978 से दुबई में रहकर काम कर रहे थे। करीब डेढ़ लाख रुपए महीने की उनकी आमदनी थी। उन्होंने धन अर्जित कर अपना मकान बनवाया है, जिसे अब टेरर फंडिंग से जोड़कर जांच की जा रही है। कहा कि NIA को घर से छानबीन के बाद चार-पांच मोबाइल मिले हैं, जिसके आधार पर बोले कि ये आतंकवादी है। हम जफर अब्बास को आतंकवादी नहीं मानते हैं। सरकार से मांग करते हैं कि सही तरीके से जांच हो और न्याय मिले।

गोपालगंज से पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी
गोपालगंज में NIA की कार्रवाई का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार शेख अब्दुल नईम का कनेक्शन गोपालगंज से जुड़ा था। शेख अब्दुल नईम गोपालगंज में नाम और पता बदलकर पासपोर्ट बनवा चुका था और यहां स्लीपर सेल तैयार किया था। साल 2017 में खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट पर बनारस से शेख अब्दुल नईम की गिरफ्तारी हुई।

उसके बाद गोपालगंज से जुड़े तार का खुलासा हुआ और स्लीपर सेल से जुड़े सक्रिय सदस्य बेदार बख्त उर्फ धन्नू राजा की गिरफ्तारी दिसंबर 2017 में नगर थाना के जादोपुर चौक स्थित ननीहाल से हुई थी। धन्नू कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष भी था।

इसके बाद 2017 में ही मांझा थाने के आलापुर गांव से NIA ने मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया। लश्कर-ए-तैयबा के स्लीपर सेल से जुड़े चौथे सक्रिय सदस्य महफूज आलम की गिरफ्तारी साल 2018 में नगर थाना क्षेत्र के दरगाह मोहल्ले से हुई। इस तरह लगातार कार्रवाई के बाद सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने इलाके में चौकसी बढ़ा दी है। पूरी गोपनीयता के साथ संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।

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