कोरोना की दूसरे लहर में हर कोई परेशान है। बावजूद ऐसे लोगों की कमी नहीं जो मानवता की सेवा के बदले आपदा में अवसर तलाशने से भी बाज नहीं आ रहे। ऐसी विकट परिस्थिति के बीच प्राइवेट एंबुलेंस वाले मौके का फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। कोराना संक्रमित मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सक बेहतर इलाज के लिए उन्हें पटना या गोरखपुर रेफर कर दे रहे हैं। रेफर किए जाने वाले मरीजों को सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में कोरोना से कराह रहे मरीजों के स्वजनों से मनमाना भाड़ा लेकर प्राइवेट एंबुलेंस संचालक उनका खून चूस रहे हैं। मनमाना भाडा़ मांगने के कारण कई मरीजों को उनके स्वजन बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं और मरीजों की सांसें थम जा रही हैं। इसके बाद भी कोरोना मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाने वालों की तरफ प्रशासन ने आंखें मूंद लिया है।। कोरोना के नाम पर मनमाना भाडा़ ले रहे एंबुलेंस संचालकों को रोकने – टोकने वाला कोई नहीं है। गोरखपुर व पटना के लिए सामान्य दिनों के अपेक्षा कोरोना काल में तीन गुना से अधिक भाड़ा वसूला जा रहा है।
बताया जाता है कि उचकागांव थाना क्षेत्र के पांडेपुर गांव निवासी अंजली पाण्डेय की तबीयत दो दिन पूर्व खराब हो गई थी। जिन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उन्हें सांस की समस्या थी। जिसे देखकर चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर उपचार के लिए गोरखपुर रेफर कर दिया। यूपी में जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस इन्हें उपलब्ध नहीं हो सका। मरीज अंजली पाण्डेय के स्वजनों ने एक प्राइवेट एंबुलेंस के चालक से संपर्क किया। प्राइवेट एंबुलेंस चालक ने सदर अस्पताल से गोरखपुर जाने के लिए 15 हजार रुपये की डिमांड किया। काफी कहने सुनने के बाद एंबुलेंस चालक 13 हजार रुपये में एंबुलेंस लेकर जाने के लिए तैयार हो गया। इस दौरान भाड़ा तय करने के चक्कर में करीब 30 मिनट का समय निकल गया। गोरखपुर पहुंचते ही अंजली पाण्डेय की सांसे थम गईं। ये तो मात्र उदाहरण भर है। कोरोना संक्रमित तथा सांस लेने में दिक्कत से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ने से एंबुलेंस की डिमांड बढ़ गई है। जिसका नाजायज फायदा प्राइवेट एंबुलेंस संचालक उठा रहे हैं। प्राइवेट एंबुलेंस के चालक मरीजों की हालत और पारिवारिक स्थिति के हिसाब से मनमाना भाड़ा मांग रहे हैं। प्राइवेट एंबुलेंस का कोई फिक्स रेट तय नहीं होने के चलते मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
पटना के लिए दस हजार व गोरखपुर के लिए 15 हजार ले रहे भाड़ा:
जिले में सरकारी एंबुलेंस की कमी के कारण मरीजों को पटना व गोरखपुर ले जाने में स्वजनों का काफी दिक्कत का सामना करना पडा़ रहा है। मरीजों को पटना व गोरखपुर जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस समय पर उपलब्ध् नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मरीज को उनके स्वजन प्राइवेट एंबुलेंस से पटना व गोरखपुर जा रहे है। प्राइवेट एंबुलेंस चालक ऑक्सीजन सुविधा देने के नाम पर भी मरीजों के स्वजनों से मोटी रकम वसूल कर रहे है। मरीजों के स्वजनों ने बताया कि प्राइवेट एंबुलेंस चालक पटना जाने के लिए दस हजार रुपये तथा गोरखपुर ले जाने के लिए 12 हजार से 15 हजार रुपये भाड़ा ले रहे हैं।
कहां कितने हैं सरकारी एंबुलेंस:
पूरे जिले में 26 सरकारी एंबुलेंस हैं। सरकारी एंबुलेंस में चार एंबुलेंस कोरोना पॉजिटिव मरीजों को आइसोलेशन सेंटर लेकर जाने व लाने के लिए लगाया गया है। अस्पताल प्रबंधक अमरेंद्र कुमार ने बताया कि पूरे जिले में 26 सरकारी एंबुलेंस है। जिनमें सदर अस्पताल में पांच, हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल दो, भोरे रेफरल अस्पताल दो, उचकागांव पीएचसी में दो, पंचदेवरी पीएचसी में एक, फुलवरिया रेफरल अस्पताल में एक, कटेया पीएचसी में एक, विजयीपुर पीएचसी में एक, बरौली पीएचसी में एक , सिधवलिया पीएचसी में एक, मांझा पीएचसी में एक, बैकुंठपुर पीएचसी में एक, थावे पीएचसी में दो, कोविड अस्पाल हथुआ में दो, सदर अस्पताल में शव वाहन के रूप में एक एंबुलेंस है। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या तथा सांस लेने की दिक्कत से संबंधित मरीजों की इधर कुछ दिन से काफी बढ़ गई संख्या के कारण सरकारी एंबुलेंस कम पड़ जा रहे हैं। ऐसे में मरीजों को बाहर ले जाने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस का ही सहारा रह गया है। मरीजों की इस मजबूरी का प्राइवेट एंबुलेंस संचालक भरपूर फायदा उठा रहे हैं।
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