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खुलासा: शिक्षक नियुक्ति घोटाला उजागर करने पर हुई थी क्लर्क की हत्या, UP के शूटर्स को मिली थी सुपारी

बीते 2 जुलाई को गोपालगंज में हुई शिक्षा विभाग के क्लर्क अजय राय की हत्या का पुलिस ने खुलासा कर लिया है. अजय राय की गोपालगंज में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. थावे पुलिस ने इस केस का खुलासा करते हुए बताया कि शिक्षा विभाग के क्लर्क अजय राय द्वारा फर्जी नियोजन से जुड़े घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए फाइल निगरानी को सौंपा गया था. इसकी वजह से घोटालेबाजों ने उनकी सरेआम हत्या करवा दी. हत्या के लिए 03 लाख रूपये की सुपारी दी गयी थी. इस मामले में पुलिस ने यूपी के सुपारी किलर सहित 3 अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है.
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डेढ़ महीने बाद पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा करने का दावा किया है. थावे थानाध्यक्ष विशाल आनंद के मुताबिक लिपिक अजय राय की हत्या में शामिल 03 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें सुपारी देने वाला जुल्फिकार अली भुट्टो भी शामिल है. उसने यूपी के दो सुपारी किलरों को 03 लाख रूपये की सुपारी दी थी. जिला में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाडा को लेकर जांच शुरू हुई थी. अजय राय ने इस जांच में अहम भूमिका निभाई थी. इस फर्जीवाड़े में कुछ शिक्षक संघ के नेता भी शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक उन सबों ने रास्ते से हटाने और फर्जी नियोजन की जांच को प्रभावित करने की नियत से अजय राय की हत्या करवाई थी.
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मालूम हो कि 02 जुलाई को शिक्षा विभाग के स्थापना कार्यालय में तैनात क्लर्क अजय राय की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी. अजय कुमार शिक्षा विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे. वो भोरे के मिश्र बतरहा के रहने वाले थे. 40 वर्षीय अजय राय ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन डीपीओ के साथ मिलकर फर्जी नियोजन से जुड़े बड़े रैकेट को लेकर निगरानी को दस्तावेज सौपे थे तब से वो फर्जी नियोजन से जुड़े शिक्षा माफियाओं की नजर में थे. शिक्षा माफियाओ ने तत्कालीन डीपीओ का भी तबादला करा दिया था और शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड रूम में रहस्यमय तरीके से आग लगा दी थी जिसमें 127 फर्जी नियोजन के जाँच से सम्बंधित रिकॉर्ड जल गये थे.
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दस्तावेज को लेकर माफियाओ ने अजय कुमार पर दबाव भी बनाया था. हत्या के दौरान लोगों ने शिक्षा माफिया से जुड़े लोगों पर शक जताया था. बहरहाल अजय राय हत्याकांड का पुलिस ने भले ही खुलासा कर लेने का दावा कर लिया हो लेकिन शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़े बहुत गहरी है जिसकी वजह से अभी तक फर्जी नियोजन से जुड़े मामले जस के तस हैं और इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है.
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