उचकागांव प्रखंड के ब्रह्माइन गांव की गलियों और सड़कों पर अब सन्नाटा पसर गया है। इस गांव में दो दर्जन से अधिक लोग सर्दी, खांसी, बुखार आदि कोरोना के लक्षण वाले बीमारियों से ग्रसित होने के कारण हर घर में कोरोना को लेकर दहशत समा गया है। पूरे गांव में दहशत का माहौल है। कोरोना के लक्षण वाले लोगों में कुछ खुद दवा ले रहे हैं तो कई ग्रामीण चिकित्सकों से दिखाकर घर पर रह कर दवाइयां खा रहे हैं। इस गांव में कोरोना को लेकर दहशत पिछले 20 दिन से कायम है। सांस लेने में तकलीफ के कारण गांव के राजकुमार पटेल की इलाज के दौरान सदर अस्पताल में मौत हो चुकी है। कोरोना के लक्षण वाले इस अधेड़ की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मी अब तक गांव में नहीं पहुंचा है। कोरोना के लक्षण वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने को लेकर ग्रामीणों के दिलो दिमाग में भय समा गया है।
ब्रह्माइन गांव निवासी 55 वर्षीय राजकुमार पटेल को 22 अप्रैल से बुखार आने लगा था। उन्होंने दो-चार दिन तक स्थानीय स्तर से दवा लेकर खाया। कोरोना की जांच नहीं कराई। 30 अप्रैल की रात उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी। जिसके बाद स्वजनों ने उन्हें 31 मई की सुबह इलाज के लिए उचकागांव सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने को देखते हुए उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर इलाज शुरू किया। इसके बाद भी स्थिति बिगड़ते जाने पर चिकित्सकों ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सदर अस्पताल में इलाज के दौरान एक मई की रात राजकुमार पटेल की मौत हो गई। ग्रामीण बताते हैं कि सदर अस्पताल में किट के माध्यम से हुई जांच में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। अस्पताल में उनका आरटीपीसीआर और ट्रूनेट जांच नहीं कराया गया। ग्रामीणों ने बताया कि राजकुमार पटेल की मौत होने के बाद उनके शव को किट पहनाकर स्वजनों को सौंप दिया गया। स्वजनों ने अधेड़ का शव गांव लाकर उनका दाह संस्कार कर दिया।
टाइफाइड की दवा व सूई लेकर घर पर लोग कर रहे इलाज:
सांस लेने की तकलीफ से सदर अस्पताल में दम तोड़ने वाले राजकुमार पटेल के भतीजा प्यारे लाल पटेल और पड़ोसी ध्रुपनाथ सिंह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। दोनों लोग प्राइवेट अस्पतालों से दवा लेकर घर पर ही आइसोलेट रहकर इलाज करा रहे हैं। मृतक के छोटे भाई प्रमोद पटेल भी लगातार बुखार से पीड़ित चल रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में दो दर्जन से अधिक लोग लगातार सर्दी, जुखाम, बुखार आदि कोरोना के लक्षण वाली बीमारियों से ग्रसित हैं। साधारण दवाइयों से ठीक नहीं होने पर इस क्षेत्र के ग्रामीण चिकित्सकों के पास से टाइफाइड की दवा और इंजेक्शन लेकर घर पर ही अपना इलाज करा रहे हैं।
सैनिटाइजर का नहीं किया गया छिड़काव:
ब्रह्माइन गांव में कोरोना के मरीज मिलने के बाद भी अभी तक सरकारी स्तर पर सैनिटाइजर का छिड़काव नहीं किया गया है। कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की संख्या इस गांव में लगातार बढ़ते जाने से पूरे गांव में दहशत का माहौल है। प्रतिदिन बाजार जाने वाले लोग भी किसी तरीके से गांव में ही सब्जी और खाने पीने की सामान की व्यवस्था कर काम चला रहे हैं। ग्रामीण कोरोना के भय से गांव के बाहर नहीं जा रहे हैं।
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