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पंचदेवरी: जलापूर्ति की व्यवस्था फेल, 70 लाख की योजना पर फिरा पानी

पंचदेवरी प्रखंड मुख्यालय आने वाले लोगों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़े इसके लेकर एक दर्जन से अधिक जगहों पर नल तथा टोंटी लगाया गया था। लेकिन अब नल तथा टोंटी टूट कर बेकार हो गए हैं। लोग बताते हैं कि दो चार दिन में एक दो घंटे के लिए कभी-कभार जलमीनार से पानी की सप्लाई अब भी होती है। लेकिन यह पानी लोगों के घरों तक नहीं पहुंचती है। बल्कि टूटे नल से बेकार बहता रहता है। कुछ ऐसी ही दशा प्रखंड मुख्यालय में लगाए गए सरकारी चापाकलों का भी है। लोग बताते हैं कि अधिकांश चापाकलों से पानी नहीं निकलता है। ऐसे में गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या भी बढ़ने लगी है।
सरकार की यह योजना अब लोगों को मुंह चिढ़ा रही है। पेयजल की योजना धरातल पर उतरने के बाद भी यहां के आने वाले लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ता है। पंचदेवरी प्रखंड मुख्यालय में हाईस्कूल के पास 12 साल पूर्व पेयजल की योजना को धरातल पर उतारा गया। इस योजना के तहत जलमीनार बनाया गया तथा पानी सप्लाई करने के लिए पाइप भी बिछाई गई। योजना पूरी होने पर तब जिले के दौरे पर आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहर के मिंज स्टेडियम से इस योजना का उद्घाटन भी कर दिया। लेकिन इसके बाद भी यहां के लोगों को पेयजल नसीब नहीं हो सकता। यहां के लोगों की प्यास या तो चापाकल से बुझती है या लोग बोतलबंद पानी खरीद कर अपने गले को तर करते हैं। प्रखंड मुख्यालय में साल 2005 में ग्रामीण पेयजल योजना के तहत जलमीनार बनाने का काम शुरू हुआ। इसके साथ ही लोगों के घरों में पानी पहुंच सके इसके लिए पाइप लाइन भी बिछाई गए। सार्वजनिक स्थलों पर जगह-जगह नल लगाए गए। इस योजना का काम पूरा होने पर तत्कालीन उर्जा मंत्री विजेंद यादव के साथ जिले के दौरे पर आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 31 अक्टूबर 2006 को शहर के मिंज स्टेडयम से इस योजना का उद्घाटन किया। लोग बताते हैं कि उद्धाटन के बाद सप्लाई का पानी मिलने लगा। जिससे प्रखंड मुख्यालय में पेयजल की समस्या दूर हो गई। लेकिन कुछ समय सप्लाई का पानी आना बंद हो गया। तब से लोग इस सप्लाई का पानी मिलने का इंतजार ही करते रहे गए। 70.58 लाख से बनी पेयजल की इस योजना पर पानी फिर गया। ऐसे में अपने काम काज के लिए प्रखंड मुख्यालय आने वाले लोगों को पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। लोगों की प्यास या तो होटलों में चले चापाकल या फिर बोतलबंद से ही बुझती है। जलमीनार बनने के बाद उम्मीद थी कि अब शुद्ध पेयजल मिलेगा। लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। सप्लाई का पानी चालू करने के कुछ समय बाद ही बंद हो गया।
डॉ.हरेंद्रलाल श्रीवास्तव: लाखों रुपया खर्च हो गए। लेकिन लोगों को सप्लाई का पानी मिल रहा है कि नहीं इसके कोई देखने वाला नहीं है। जलमीनार होने के बाद भी लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है।
संतोष पटेल: ग्रामीण पेयजल योजना से लोगों की पेयजल की समस्या दूर नहीं हुई। अब हर घर में नल का जल पहुंचाने की बात हो रही है। लेकिन इस योजना को कब तक धरातल पर उतारा जाएगा, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
प्रकाश कुमार: पेयजल की योजना के नाम पर लाखों रुपया खर्च किए जाने के बाद भी यहां के लोगों कोई लाभ नहीं हुआ। जलमीनार से सप्लाई का पानी नहीं मिल रहा है। चापाकल के पानी से लोगों की प्यास बुझती है।