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कटेया के विजय ने बनाया सौर ऊर्जा से चलनेवाला ड्रोन

कटेया के विजय शंकर द्विवेदी और उनकी टीम ने सौर ऊर्जा से चलनेवाला देश का पहला ड्रोन तैयार किया है. इसकी खास बात यह है कि 12 से 18 घंटे तक लगातार काम करता रहेगा. आइआइटी कानपुर से पीएचडी कर रहे विजय शंकर द्विवेदी की टीम ने खास तौर पर सेना के लिए यह ड्रोन तैयार किया है, जिसे ग्राउंड ब्रेक्रिंग सेरेमनी में रखा गया था.
उम्मीद है कि डिफेंस कॉरीडोर में रक्षा उत्पाद बनाने वाली कोई कंपनी इस तकनीक को जल्द हासिल करेगी. यह ड्रोन सौर ऊर्जा और बैटरी से संचालित होगा. कटेया प्रखंड के पटखौली गांव निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य ब्रजनाथ द्विवेदी के पुत्र विजय शंकर द्विवेदी की प्रारंभिक से लेकर हाइस्कूल तक की शिक्षा उत्तराखंड में हुई. इंटर की पढ़ाई कानपुर से की और आइआइटी, कानपुर से ट्रेड एरो स्पेट से बीटेक और एमटेक की पढ़ाई की. विजय ने बताया कि सौर ऊर्जा से चलनेवाला देश का यह पहला ड्रोन है.
इसका हवाई निरीक्षण के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है़  इस ड्रोन को बनाने में आइआइटी के प्रो एके घोष, प्रो. दीपू फिलिप के साथ प्रशांत कुमार, सर्वेश सोनकर और सलाउद्दीन ने सहयोग किया है़
कानपुर आइआइटी से पीएचडी कर रहे हैं विजय, इसके निर्माण में लगभग 10 लाख रुपये हुए खर्च
15 किलो का भार लेकर उड़ने की है क्षमता  
यह ड्रोन लगभग पांच मीटर लंबा है़  यह 15 किलो का भार आसानी से कहीं भी ले जा सकता है़  यह अधिकतम दो सौ किमी तक जा सकता है.
वहीं, 12 से 18 घंटे तक उड़ सकता है. आपदा की स्थिति में इससे खाद्य सामग्री व दवाइयां पहुंचायी जा सकती है. इसके निर्माण में लगभग 10 लाख रुपये की लागत है. ड्रोन मराल-दो को लखनऊ में डिफेंस कॉरीडोर के उद्घाटन समारोह में रखा गया था. इसकी सराहना गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ आदि ने की है.