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स्वास्थ्य समाचार : लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ स्कूली बच्चों ने निकाली रैली

लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ स्कूली बच्चों ने निकाली रैली
• लिंग आधारित भेदभाव के ख़िलाफ़ 16 दिवसीय मुहिम
• लोगों को लिंग आधारित भेदभाव पर किया जागरूक
• 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक चलेगी मुहिम
• ‘जेनरेशन इक्वलिटी स्टैंड अगेंस्ट रेप’ की थीम पर मुहिम
पटना/ 25 नवम्बर: लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ विश्व भर में 16 दिवसीय मुहिम चलायी जा रही है. जिसमें आम जनों को लिंग आधारित भेदभाव के ख़िलाफ़ जागरूक किया जा रहा है. इसको लेकर लिंग आधारित भेदभाव के ख़िलाफ़ कार्य करने वाली सहयोगी संस्था द्वारा पटना के दानापुर प्रखंड में मुबारकपुर रघुरामपुर पंचायत के चंदमारी माध्यमिक विद्यालय में 240 से अधिक बच्चों की रैली निकाली गयी . रैली रघुरामपुर टोला से नूरपुर होते हुए रघुरामपुर अहरा के रास्ते चंदमारी माध्यमिक विद्यालय आकर खत्म हुयी. रैली में बैनर एवं स्लोगन के माध्यम से लिंग आधारित भेदभाव पर लोगों को जागरूक किया गया.
बदल रही है तस्वीर: सहयोगी संस्था की कार्यपालक निदेशक रजनी ने बताया विश्व के लगभग 187 देशों में प्रत्येक साल 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक लिंग आधारित भेदभाव के ख़िलाफ़ 16 दिवसीय मुहिम चलाकर आम लोगों को जागरुक किया जाता है. इस साल ‘जेनरेशन इक्वलिटी स्टैंड अगेंस्ट रेप’ की थीम पर 16 दिवसीय मुहिम चलाया जा रहा है. बदलते समय में धीरे-धीरे लोगों में लिंग आधारित भेदभाव के प्रति जागरूकता बढ़ी है. निरंतर जागरूकता का असर है कि जहाँ पहले केवल 10 से 20 प्रतिशत ही लिंग आधारित भेदभाव को समझ पते थे. वहीँ अब इन इलाकों में 70 से 75 प्रतिशत लोगों को लिंग आधारित भेदभाव पर जानकारी हुयी है. इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है. महिलाएं अपने अधिकार के प्रति पहले से अधिक सजग हुयी हैं.
भेदभाव को नजरंदाज नहीं करें: रजनी ने बताया लिंग आधारित देखभाल को नजरंदाज करने से समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसके लिए महिलाओं को निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है. सामुदायिक बैठक, गृह भ्रमण एवं अन्य सामुदायिक आयोजनों के माध्यम से लिंग आधारित भेदभाव पर जागरूकता बढाई जा रही है.
लिंग आधारित भेदभाव के ख़िलाफ़ 16 दिवसीय मुहिम: लिंग आधारित भेदभाव के ख़िलाफ़ वर्ष 1991 से ही वीमेन ग्लोबल लीडरशिप संस्था द्वारा प्रत्येक वर्ष 25 नवम्बर से लेकर 10 दिसम्बर तक 16 दिनों की मुहिम चलायी जाती है. महिलाओं एवं लड़कियों के साथ होने वाले शोषण के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद कर इसे खत्म करने की दिशा में इस मुहिम को देखा जाता है.