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गोपालगंज: जरूरतमंद छात्रों का सहारा बनता शहर का एक नामी डॉक्टर

जीवन में सफलता हासिल करने के बाद लोग अपनी गरीबी के दिनों को भूल जाते हैं। लेकिन डॉ. आलोक कुमार सुमन को न सिर्फ अपने बचपन के दिनों की गरीबी याद है। बल्कि ये गरीब परिवार के छात्रों का सहारा भी बन गए हैं। ये शहर में अपने खर्च पर कोचिंग सेंटर खोल कर गरीब परिवार के बच्चों का करियर संवारने में उनकी मदद कर रहे हैं। इनके कोचिंग सेंटर में गरीब परिवार के बच्चों को मुफ्त पढ़ाया जाता है। कोचिंग सेंटर के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का भुगतान भी ये खुद करते हैं। सप्ताह में एक दिन कोचिंग सेंटर जाकर ये छात्रों को अपने करियर के प्रति ध्यान देने के लिए मोटिवेट भी करते हैं। मुफ्त कोचिंग सेंटर चलाने के साथ ही ये महीने में एक दिन किसी ने किसी महादलित बस्ती में जाकर गरीब परिवार के बच्चों के बीच कॉपी किताब को वितरण भी करते हैं। इनकी इस पहल से महंगी होती शिक्षा के बीच गरीब परिवार के छात्रों को अपना करियर संवारने के लिए सहारा मिल गया है। गोपालगंज सदर प्रखंड के दियारा इलाके में स्थित जादोपुर दुखहरण गांव के निवासी डॉ.आलोक कुमार सुमन का बचपन बेहद गरीबी के बीच गुजरा। गरीबी से जूझते हुए किस तरह से इन्होंने मेडिकल की पढ़ाई पूरी किया। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद राममनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली में चिकित्सक के पद कुछ समय तक काम किया। फिर इनकी नियुक्ति सदर अस्पताल गोपालगंज में हुई। कई साल तक सदर अस्पताल में सेवा देने के बाद इन्होंने साल 2010 जनवरी माह में स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले लिया और शहर में अपना नर्सिंग होम खोल लिया। प्रसिद्ध चिकित्सक के रूप में अपनी पहचान बना चुके डॉ. आलोक कुमार सुमन के पास अब जीवन की हर सुख सुविधा उपलब्ध है। लेकिन इसके बाद भी इन्हें अपने बचपन के दिनों की गरीबी अब भी याद है। अब ये गरीब परिवार के छात्रों का करियर संवारने में उनकी मदद कर रहे हैं। डॉ.आलोक कुमार सुमन बताते हैं कि बचपन में सरकारी स्कूल में पढ़ता था। लेकिन गरीबी के कारण कॉपी किताब नहीं खरीद पाता था। उस समय इनके स्कूल के शिक्षकों ने काफी मदद किया।
शिक्षक कॉपी किताब खरीद कर उन्हें देते थे। वे कहते हैं कि अगर शिक्षकों ने मेरी मदद नहीं किया होता तो मैं आज जो कुछ हूं वह नहीं बन पाता। मुङो हमेशा गरीबी के दिनों में की गई मदद याद रहा। स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेकर अपना नर्सिग होम खोलने के बाद साल 2014 में शहर के पोस्टऑफिस के पीछे किनारे का मकान लेकर इन्होंने गरीब परिवार के छात्रों के लिए कोचिंग सेंटर खोला। इस कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्रों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। कोचिंग सेंटर में छात्रों को नौवीं कक्षा से लेकर 12 वीं तक के छात्रों के लिए अलग-अलग बैच चलता है। जिसमें बोर्ड परीक्षा की तैयारी के साथ ही इंजीनियरिंग तथा मेडिकल की तैयारी भी कराई जाती है। कोचिंग सेंटर में छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को डॉ.आलोक कुमार सुमन खुद अपने पास से भुगतान करते हैं।