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गोपालगंज: खनन विभाग पस्त, बालू माफिया मस्त

बंजारी रोड में खनन विभाग का कार्यालय नगर पर्षद के एके सरकार मार्केट में है. खनन विभाग के प्रधान सचिव भले ही केके पाठक की खौफ पूरे बिहार में है, लेकिन केके पाठक के प्रधान सचिव होने का कोई असर गोपालगंज खनन विभाग पर नहीं है. यहां सक्रिय बालू माफियाओं के आगे एक तरह से विभाग घुटना टेक रखा है. नतीजा है कि प्रतिदिन गंडक नदी से हजारों ट्रॉली बालू का अवैध खनन हो रहा है. दूसरी तरफ छपरा, आरा से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक बालू ट्रांसपोर्ट होकर यूपी में जा रहा है.
बालू के अभाव में पूरे जिले में हाहाकार मचा हुआ है. आम आदमी का मकान बनाने का सपनों पर बालू ने ग्रहण लगा दिया है. बालू के इस खेल को समझने के लिए जब मीडिया टीम जिला खनन पदाधिकारी के कार्यालय पहुंची तो चौंकाने वाली बात सामने आयी. न साहब, न बाबू, ऑपरेटर और पीउन खनन विभाग को चला रहे थे. इस कार्यालय की स्थिति यह बयां कर रहा कि माफियाओं पर इनका कोई पकड़ नहीं है. मीडिया टीम 11.30 बजे से 1.30 बजे तक खनन विभाग में रहकर स्थिति की लाइव रिपोर्ट तैयार की. आइये बताते हैं पूरा मामला-
खनन विभाग के साहब का बंद कार्यालय
खनन विभाग के प्रभार में वरीय उपसमाहर्ता परमानंद साह हैं. खनन विभाग में उन्हें बैठने के लिए मौका नहीं मिलता. उनके पास एक नहीं पांच-पांच विभाग का प्रभार है. चाहकर भी खनन विभाग में समय नहीं निकाल पाते. साहब के नहीं रहने से यहां कब कौन आयेगा और कौन कब जायेगा, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं रहता. आप जब आयेंगे इस कार्यालय में यहां ताला लटका रहेगा. कार्यालय के आगे न तो बोर्ड है न नेम प्लेट. यहां आकर यह पता भी नहीं चलेगा कि खनन विभाग का दफ्तर भी है.
खान निरीक्षक के इंतजार में खाली कुर्सी
खनन विभाग के सबसे महत्वपूर्ण पद खान निरीक्षक का माना जाता है. दोपहर के 12 बजे हैं, लेकिन, खान निरीक्षक कार्यालय नहीं पहुंचे. पहले तो मातहतों ने बताया कि अब 16 फरवरी को साहब से मुलाकात होगी. जब मीडिया टीम तस्वीर लेने लगी तो मातहतों का कहना था कि अभी-अभी साहब निकले हैं. कल शिवरात्रि की छुट्टी है. परसों साहब मिलेंगे.  दरअसल खान निरीक्षक अनूप कुमार त्रिपाठी महाशिवरात्रि की छुट्टी से एक दिन पहले से ही गायब थे.
बाबू के कार्यालय में पसरा सन्नाटा
साहब के नहीं रहने का फायदा बाबू भी उठा रहे थे. कार्यालय के एक मात्र सहायक रंजीत कुमार तथा आईटी सहायक बिल्टु कुमार कार्यालय से गायब थे. मातहतों ने इनके बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया. कार्यालय इनका खुला तो जरूर था, लेकिन कुर्सी खाली थी. यहां दो-तीन ईंट भट्ठा संचालक  हाईकोर्ट के नये आदेश के बाद विभाग से टैक्स को लेकर जानकारी लेने पहुंचे थे, उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा.
मेरे कार्यालय में नियमित कर्मी रहते हैं
खान निरीक्षक फिल्ड में हैं. दो अन्य कर्मी हथुआ गोदाम पर काम कर रहे हैं. मैं परीक्षा ड्यूटी में हूं. बाकी कर्मी कार्यालय में हैं. मेरे कार्यालय में नियमित कर्मी रहते हैं.
परमानंद साह, प्रभारी जिला खान पदाधिकारी, गोपालगंज
विभाग में काम करते डेटा ऑपरेटर
खनन विभाग में डेटा इंट्री ऑपरेटर ब्रजेंद्र कुमार यादव, कार्यपालक सहायक कुमारी खुशबू भारती तथा पीउन मदन राम काम पर मौजूद थे. यहां आने वाले हर व्यक्ति की बातों को सुन कर उन्हें सही जवाब देते थे, जो उनके बस का नहीं था. वे साहब से मिलने के लिए 16 फरवरी को बुला रहे थे. विजयीपुर से आये ईंट भट्ठा कारोबारी रामेश्वर गुप्ता ने बताया कि यह महज संयोग है कि एक बार भी साहब से मुलाकात नहीं हो पा रही और लौटना पड़ रहा.
यह अकेले रामेश्वर की ही पीड़ा नहीं, अन्य लोगों के साथ भी यही स्थिति है.
बालू के कारण इन योजनाओं पर लगा ग्रहण
प्रधानमंत्री आवास योजना 6095
शौचालय निर्माण 1.5 लाख
नली-गली योजना 410 योजना
पुल निर्माण 25 योजना
पीसीसी सड़क योजना 155
आम आदमी का आवास 86 हजार
प्रतिदिन गंडक नदी से अवैध खनन
560 ट्रॉली सफेद बालू
प्रतिदिन यूपी भेजी जा रही सफेद बालू 290 ट्रॉली
सारण से रोज मंगायी जा रही बालू 190 ट्रक
प्रतिबंध के पहले बालू का रेट “28-30 प्रति फुट
बालू का बाजार रेट 90-92 रुपये प्रति फुट

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