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बैकुंठपुर: दस साल में नहीं हुआ वारंट का तामिला, उठ रहे सवाल

अभी लोकसभा चुनाव का माहौल है। ऐसे में पुलिस स्तर पर तमाम आपराधिक मामलों में न्यायालय से जारी वारंट का तामिला तेजी से कराया जा रहा है। पुलिस भी 90 प्रतिशत से अधिक वारंट का तामिला होने का दावा कर रही है। लेकिन अपनों के खिलाफ कोर्ट से जारी वारंट का तामिला करा पाने में पुलिस कन्नी काटती रही है। इसका सबसे ताजा उदाहरण बैकुंठपुर थाने में तैनात चौकीदार के विरुद्ध वारंट का है। दस साल की लंबी अवधि बीतने के बाद भी आरोपित चौकीदार के विरुद्ध वारंट का तामिला पुलिस नहीं कर सकी है। हद तो यह कि आरोपित थाने में ही तैनात है और प्रत्येक माह वेतन भी उठा रहा है।
न्यायालय सूत्रों ने बताया कि बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के भगवानपुर गांव की शन्फो देवी ने वर्ष 2002 में अपने ही गांव के चौकीदार महेंद्र राउत सहित दो लोगों के विरुद्ध मारपीट व छेड़खानी के आरोप में कोर्ट में परिवाद दाखिल किया था। इस आपराधिक मामले में न्यायालय ने संज्ञान लेने के बाद चौकीदार सहित दोनों आरोपित के विरुद्ध सम्मन जारी किया। सम्मन के बावजूद जब दोनों आरोपित कोर्ट में हाजिर नहीं हुए तो न्यायालय ने उनके विरुद्ध 19 नवंबर 2008 को गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया। समय बीतने के बावजूद पुलिस ने आरोपित की धर पकड़ की कार्रवाई नहीं की। बार-बार कोर्ट के निर्देश के बावजूद जब आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हुई तो न्यायालय ने पांच जुलाई 2018 को आरोपित चौकीदार महेंद्र राउत तथा उमेश राउत के विरुद्ध इश्तेहार जारी किया। बावजूद इसके आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। आरोपित की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण यह आपराधिक मामला लंबे समय से न्यायालय ने लंबित होने के कारण पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।